पलामूः अक्टूबर 2021 में झारखंड की पुलिस ने आम लोगों के लिए कॉम्बैट ड्रेस के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था(ban on wearing combat dress of security forces ). आम लोगों से इस्तेमाल नहीं करने का आग्रह किया गया. इस ड्रेस का इस्तेमाल करने वाले लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही गई थी. कॉम्बैट ड्रेस को लेकर आईजी स्तर से पत्र जारी किया गया था और मामले में कार्रवाई की बात कही गई थी. पुलिस द्वारा चेतावनी जारी करने और जागरुकता अभियान चलाने के बावजूद बड़ी संख्या में लोग इस ड्रेस का इस्तेमाल कर रहे हैं. पलामू और उसके आसपास के इलाके में सुरक्षाबलों की वर्दी की तरह ही कई लोग अपने सिक्योरिटी गार्ड को रखे हुए हैं. यह लोग अपने लाइसेंसी हथियार को भी सिक्योरिटी गार्ड को दे रहे हैं और इलाके में आसानी से घूम रहे हैं.
पुलिस और सुरक्षाबलों की तरह वर्दी पहने बॉडीगार्ड रख रहे रसूख वाले, कार्रवाई की तैयारी में पलामू पुलिस
पलामू में आम लोगों के कॉम्बैट ड्रेस के इस्तेमाल को लेकर पुलिस काफी संजीदा है. कई बार लोगों से अपील की गई है कि वो कॉम्बैट ड्रेस का इस्तेमाल ना करें(ban on wearing combat dress of security forces ). इसके लिए आदेश जारी करने से लेकर जागरुकता अभियान तक चलाए गए हैं. लेकिन कई लोग रसूख के लिए इन कपड़ों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसे लेकर अब पुलिस कानूनी कार्रवाई करने जा रही है.
कानूनी कार्रवाई की तैयारीः कॉम्बैट को लेकर पूरे मामले में पलामू पुलिस सख्त रवैया अपनाने की तैयारी कर रही है. ऐसे लोगों की सूची तैयार कर उनके खिलाफ कार्रवाई की योजना भी तैयार की गई है. पलामू एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि पुलिस लगातार आम लोगों से कॉम्बैट ड्रेस का इस्तेमाल नहीं करने की अपील कर रही है. इसके बावजूद जो लोग इस्तेमाल कर रहे हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी तैयारी की जा रही है. एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि इस तरह के मामलों में लोगों के बीच भ्रम की स्थिति भी रहती है, इसलिए लोग इसका इस्तेमाल नहीं करें.
रसूख के लिए लोग कर रहे इस्तेमालःदरसल कॉम्बैट ड्रेस जिसे केमोफ्लेज भी कहा जाता है इस ड्रेस का इस्तेमाल अधिकतर रसूख वाले लोग कर रहे हैं. ऐसे लोगों को सरकारी और अन्य स्तर पर बॉडीगार्ड नहीं मिलते हैं. वे लोग किसी रिटायर सुरक्षाबल के जवान को अपने साथ रखते हैं और उन्हें इस तरह के ड्रेस को पहनाते हैं. आम लोगों की भीड़ में पता नहीं चल पाता है कि संबंधित व्यक्ति पुलिस का जवान है या सिविलियन. कई मामलों में देखा गया कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद और टीएसपीसी नक्सल संगठन भी इस तरह की वर्दी का इस्तेमाल करते हैं.