पलामूःपलामू टाइगर रिजर्व की ओर से हाल के दिनों में वन कर्मियों को हाथी के रख-रखाव और उनके संरक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया गया था. वहीं 14 मई को पलामू टाइगर रिजर्व के छिपादोहर पश्चिमी क्षेत्र के सैदुप वन क्षेत्र में एक हाथी के बच्चे की मौत हो गई थी. हाथी के बच्चे की मौत के बाद विभाग ने जांच शुरू की थी. विभागीय जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि हाथी की बच्ची की मौत गिरने से हुई है.
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तालाब में उतरने के दौरान गिर गया था हाथी का बच्चाः दरअसल, हाथियों का झुंड तालाब के किनारे पानी की तलाश में गया था, तालाब में गहराई काफी थी. इसी क्रम में तालाब में उतरने के क्रम ने हाथी का बच्चा गिर गया था और उसकी मौत हो गई थी. बच्चे की मौत के बाद काफी देर तक हांथियों का झुंड मौके पर रुका हुआ था और बच्चे को तालाब से दूर लेकर जाने की कोशिश कर रहा था.
वन विभाग हाथियों की तलाश में जुटाः इस संबंध में पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेश जेना ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हाथी के बच्चे की मौत का कारण शरीर में चोट लगना बताया गया है. यह चोट हाथी के गिरने से आयी है. उन्होंने बताया कि हाथियों के झुंड को तलाश किया जा रहा है और इलाके में मॉनिटरिंग की जा रही है. हाथी का बच्चा करीब छह महीने का था.
पीटीआर में डेढ़ वर्ष में सात हाथियों की हुई मौतःपलामू टाइगर रिजर्व में हाथी लगातार हादसे का शिकार हो रहे हैं. डेढ़ वर्ष में सात हाथियों की मौत हुई है. जिसमें से दो बच्चे भी शामि थे. सात में से चार हाथी की मौत जलस्रोत में नजदीक हुई है. कुछ महीने पहले पलामू के कोयल नदी के किनारे से एक हाथी के बच्चे को रेस्क्यू किया गया था. एक महीने बाद उसकी मौत हो गई थी. पलामू टाइगर रिजर्व के गारु के इलाके में जुलाई-अगस्त 2022 में पहाड़ से फिसल कर एक हाथी की मौत हो गई गई थी. सितंबर-अक्टूबर 2022 में ही बिजली के करंट से हाथी की मौत हुई थी. जनवरी-दिसंबर में भी पीटीआर के इलाके में हाथी की मौत हुई थी.
पीटीआर में मानव हस्तक्षेप और अन्य गतिविधियां हाथी के मौत का कारणः पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में मानवीय हस्तक्षेप और अन्य गतिविधियों के कारण हाथियों की मौत हो रही हैं. हाथी भोजन-पानी की तलाश में जंगल में भटक रहे हैं. पीटीआर के कई इलाकों में ऊंची पहाड़ियां हैं, इन पहाड़ों पर जाने के क्रम में हादसे हो रहे हैं. पीटीआर के इलाके में नक्सल विरोधी अभियान के कारण बड़ी गतिविधि होती हैं. अभियान से प्रभावित इलाकों से हाथी निकल कर दूसरे इलाकों में जा रहे हैं. इस संबंध में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने बताया कि पीटीआर में भोजन-पानी बड़ी समस्या है. वहीं पीटीआर के इलाके में ग्रामीण दाखिल हो रहे हैं. यही वजह है कि हाथियों का झुंड कभी-कभी बाहर निकलना चाहता है और हादसे का शिकार हो जाता है. पीटीआर के इलाके में 180 से अधिक हाथी मौजूद हैं.