पलामू: टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) इलाके में तीन साल के हाथी के बच्चे की मौत (Baby Elephant Died) हो गई. जिस इलाके में बच्चे की मौत हुई है, वह गढ़वा जिला का इलाका है और पलामू टाइगर रिजर्व के कुटकु रेंज में है. पलामू टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने हाथी के बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के बाद दफना दिया.
इसे भी पढ़ें: PTR में बाघिन की मौत मामले की विधानसभा समिति ने की जांच, सरयू राय ने सदन में उठाया था मामला
पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक कुमार आशीष ने हाथी के बच्चे की मौत की पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि जख्म के कारण बच्चे की मौत हुई है, बच्चे के पेट में काफी दिनों से जख्म था, उसी जख्म के कारण उसकी मौत हुई. उन्होंने बताया कि बच्चे के शव के पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी कारवाई गई है, उसके बाद उसे दफना दिया गया दिया गया, बच्चे का दांत अभी निकला नही था, दांत निकलने की शुरुआत ही हुई थी.
80 की संख्या में मंडला कुटकु इलाके में हाथियों का झुंड
पलामू टाइगर रिजर्व के मंडला कुटकुट इलाके में 80 की संख्या में हाथियों का झुंड मौजूद है. पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) के उपनिदेशक कुमार आशीष ने बताया कि मृतक बच्चा इसी झुंड का था, पीटीआर के कर्मी इस झुंड पर नजर बनाए हुए थे, हाथी के बच्चे के पेट में जख्म देखा गया था. उन्होंने बताया कि झुंड में खेलने या अन्य कारणों से जख्म हुआ होगा, जो धीरे-धीरे काफी बढ़ गया, पीटीआर के कर्मी इलाके में मॉनिटर कर रहे थे, जिसमें गढ़वा इलाके के भी वन विभाग की टीम भी शामिल थी.
इसे भी पढ़ें: हाथियों का संरक्षण कर रहा पलामू टाइगर रिजर्व, यहां हाथियों की मौजूदगी की है रोचक कहानी
पलामू टाइगर रिजर्व में एक साल में तीन हाथियों की हुई मौत
पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में पिछले एक साल में तीन हाथियों की मौत हो गई है. कुछ महीने पहले पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क इलाके में पालतू हाथी काल भैरव पर जंगली हाथियों ने हमला कर दिया था, जिसमें काल भैरव की मौत हो गई थी. उसके कुछ ही दिनों बाद पीटीआर के महुआडांड़ के इलाके में एक बुजुर्ग हाथी का शव मिला था. महुआडांड़ इलाके में हुई हाथी की मौत स्वभाविक थी. बुधवार को पलामू टाइगर रिजर्व के कुटकु रेंज इलाके में एक हाथी के बच्चे की मौत हो गई है.
तीन महीने के लिए पीटीआर में बंद है पर्यटन गतिविधि
पलामू टाइगर रिजर्व के बेतला नेशनल पार्क इलाके में तीन महीने के लिए पर्यटन गतिविधि को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. पीटीआर में जुलाई से सितंबर महीने तक पर्यटन गतिविधि पर रोक लगाई गई है. जुलाई से सितंबर तक वन्यजीवों के मिलाप का वक्त होता है. इस दौरान वन्यजीव प्रजनन करते हैं.