पाकुड़: जिले के महेशपुर प्रखंड अंतर्गत सोनारपाड़ा गांव में पेयजल संकट खड़ा हो गया है. जब गांव के लोग महज 20 कदम की दूरी तय कर पश्चिम बंगाल के ही सोनारपाड़ा गांव में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हे डांटकर भगा दिया जा रहा है. इसके साथ ही उनसे कहा जा रहा है कि झारखंड के लोगों को पीने का पानी हम पश्चिम बंगाल वाले क्यों दें.
वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी पाकुड़: जिले के महेशपुर प्रखंड अंतर्गत सोनारपाड़ा गांव में पेयजल संकट खड़ा हो गया है. जब गांव के लोग महज 20 कदम की दूरी तय कर पश्चिम बंगाल के ही सोनारपाड़ा गांव में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हे डांटकर भगा दिया जा रहा है. इसके साथ ही उनसे कहा जा रहा है कि झारखंड के लोगों को पीने का पानी हम पश्चिम बंगाल वाले क्यों दें.
झारखंड और पश्चिम बंगाल 2 राज्यो के लोगों के बीच सियासत वाला सोनारपाड़ा गांव देश का पहला गांव होगा जहां पीने के पानी को लेकर लोग सियासत करते हैं. महेशपुर प्रखंड मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम बंगाल से सटा 2 हजार की आबादी वाला सोनारपाड़ा गांव में मजदूर तबके के लोग रहते हैं. गांव में सालों पहले 10 हैंडपंप लगाए गए. हालांकि इसमें सिर्फ 1 हैंडपंप फिलहाल पानी दे रहा बाकि सभी खराब हैं.
गांव के लोग सीमा ही सटे पश्चिम बंगाल के सोनारपाड़ा में पीने का पानी लेने जाते हैं, तो उन्हें पानी नहीं लेने दिया जा रहा. झारखंड के लोगों को वहां से दुत्कारा जा रहा है. उनसे कहा जा रहा है कि पश्चिम बंगाल झारखंड के लोगों को पानी क्यों दे. इस जिल्लत के बाद मजबूर ग्रामीणों घरेलू कामों के लिए तो गांव के गंदे तालाब के पानी के इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन पीने के पानी को लेकर परेशान हैं. इस बाबत कई बार ग्रामीणों ने हुक्मरानों से इल्तिजा की कि उनके गांव के हैंडपंपों को ठीक कराया जाए.
सोनारपाड़ा गांव में पानी समस्या को लेकर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के कनीय अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि वाटर लेवल नीचे चले जाने के कारण समस्या हो रही है. उन्होंने बताया कि जहां से भी ग्रामीणों द्वारा सूचनाएं दी जा रही हैं, वहां के हैंडपंप ठीक कराए जा रहे हैं