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पहाड़िया समुदाय के लिए वरदान साबित हो रही सरकार की 'उड़ान', जेएसएलपीएस निभा रही अहम भूमिका

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Published : Oct 30, 2020, 5:40 AM IST

पहाड़ों और दुरूस्त जंगलों में स्थित गांव में रहने वाली आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के हजारो लोगों के जीवन स्तर में बदलाव लाने का काम सरकार की उड़ान परियोजना ने किया है. इसके तहत पहाड़िया महिलाओं को खेती करने के गुणवत्ता पूर्ण तरीके के प्रशिक्षण तो दिए ही जाते हैं साथ ही उत्तम किस्म के बीज भी उपलब्ध कराए जाते हैं.

Tribal Pahadia Community of pakur
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पाकुड़: विलुप्ति के कगार पर पहुंच रही आदिम जनजाति पहाड़िया समाज के दिन अब बहुरने वाले हैं. ऐसा इसलिए कि आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए सरकार ने उड़ान परियोजना को धरातल पर उतारने का काम किया है. आर्थिक रूप से कमजोर इन आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों की पारंपरिक खेती को बढ़ावा देकर महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण में उड़ान परियोजना मददगार साबित हो रहा है.

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पहाड़िया जनजाति का मुख्य पेशा है खेती

झारखंड राज्य के अंतिम छोर पर बसे पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा के अलावा महेशपुर, पाकुड़िया और हिरणपुर के पहाड़ों पर वर्षों से निवास करने वाले आदिम जनजाति पहाड़िया का मुख्य पेशा खेती ही रहा है. इन प्रखंडों के पहाड़ों और दुर्गम जंगलों में स्थित गांवों में रहने वाले पहाड़िया समुदाय के पुरूष वर्ग के लोग बरबट्टी, मकई, कुर्थी, बाजरा, मरूआ, अरहर आदि की खेती कर अपना और परिवार का किसी तरह भरण पोषण किया करते थे. इस पारंपरिक खेती के लिए आर्थिक रूप से कमजोर पहाड़िया परिवारों को बीज आदि की खरीददारी के लिए महाजनों का सहयोग लेना पड़ता था. इतना ही नहीं फसलों के उत्पादन के बाद इसकी बिक्री बिचैलियों को औने-पौने दामो में करनी पड़ती थी जिसके चलते जितना ये मेहनत करते थे उतना फायदा पहाड़िया परिवारों को नहीं मिलता था.

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सामाजिक और आर्थिक रूप से होंगे सशक्त

ग्रामीण विकास विभाग की महत्वपूर्ण उड़ान परियोजना के माध्यम से पहाड़िया परिवारों के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सरकार ने पहाड़िया महिलाओं से खेती कराने का निर्णय लिया. उड़ान परियोजना को धरातल पर उतारने और इसके संचालन की जिम्मेवारी झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी को दी गयी. जेएसएलपीएस ने जिले के आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाओं को पहले सखी मंडलों से जोड़ा और उन्हे पारंपरिक खेती अरहर, मरूआ, कुर्थी, बरबट्टी, मकई आदि की अधिक उपज करने के साथ ही कृत्रिम खाद के उपयोग की जानकारी देने के लिए पहले प्रशिक्षण दिया. जब गांव की पहाड़िया महिलाएं अपने पारंपरिक खेती के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित हो गयी तो उन्हे बीज मुहैया कराया गया.

चेंजमेकर के रूप में काम कर रही महिलाएं

पहाड़िया समाज की महिलाएं अपनी पारंपरिक खेती को बेहतर तरीके से कर सके और उपज भी अच्छी हो इसके लिए हर गांव में एक समाज की ही महिला को चेंजमेकर बनाकर जिम्मेवारी सौंपी गयी. चेंजमेकर के रूप में काम कर रही महिलाएं पारंपरिक खेती में जुटी पहाड़िया समाज की महिलाओं को समय-समय पर फसलों की देखभाल, फसलों में फैलने वाली बिमारियों के उपचार की न केवल जानकारी देती हैं बल्कि उनसे ही यह सारे काम भी कराती है.

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इसका नतीजा यह निकला कि उड़ान परियोजना शुरू होने के पहले जिन खेतों में कम उपज होती थी, उन्हीं खेतो में अधिक उपज हुई और महिला किसानों की आमदनी भी ज्यादा हुई. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की ओर से आदिम जनजाति पहाड़िया महिलाओं के उत्पादित अरहर और बरबट्टी की खरीददारी गुतुगलान कल्याण ट्रस्ट में ही करने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है. ट्रस्ट का संचालन भी आदिम जनजाति पहाड़िया समाज से जुड़ी महिलाएं ही कर रही है.

जिले में लगभग 15 हजार आदिम जनजाति पहाड़िया समाज की महिलाओं से पारंपरिक खेती उड़ान परियोजना के तहत करायी गयी है. पहाड़ों पर आज वृहद पैमाने पर बरबट्टी, कुर्थी, मकई और अरहर की फसले लहलहा रही हैं. पहाड़िया महिलाएं खेतों में उपजाए गए मकई, बरबट्टी खुद उपयोग करने के साथ ही साप्ताहिक हाट में इसे बेचकर कमाई भी कर रही है.

बच्चों के शैक्षणिक स्तर को भी बेहतर करने की तैयारी

आर्थिक रूप से कमजोर आदिम जनजाति पहाड़िया परिवारों में उड़ान परियोजना ने सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के साथ उनके भरण पोषण के अलावा बच्चों के शैक्षणिक स्तर में बदलाव लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. अगर सरकार ने दुर्गम पहाड़ों पर रहने वाले जिले के पहाड़िया गांवों में सिचाई की सुविधाएं दुरूस्त कर दी तो हजारों आदिम जनजाति पहाड़िया परिवार खासकर कृषि के क्षेत्र में हरित क्रांति लाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा. जिले के उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने बताया कि सिचांई के साथ-साथ पहाड़ो पर स्थित पहाड़िया गांव के लोगों को पेयजल के लिए डीप बोरिंग कराने की भी योजना पर काम किया जायेगा.

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