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पाकुड़: आदिवासी परिवारों को नहीं मिल रहा राशन, खोखला साबित हुआ प्रशासन का दावा - People not getting ration in Pakur

सरकार और प्रशासन की ओर से राशन मुहैया कराने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन पाकुड़ के सदर प्रखंड के बरमसिया गांव के आदिवासी परिवार आज राशन से वंचित हैं. वो प्रशासन की ओर नजरें लगाए बैठे हैं कि सरकारी बाबूओं की नजर उनपर पड़ेगी और इन्हें भी राशन और रोजगार मिलेगा. जिससे कि विपदा की इस घड़ी में उनका पेट भर सके, लेकिन उनका सब्र अब टूटता जा रहा है.

पाकुड़ में आदिवासी परिवारों को नहीं मिल रहा राशन
tribal families not getting ration in Pakur

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Published : May 21, 2020, 2:07 PM IST

पाकुड़:जिले के सदर प्रखंड के बरमसिया गांव में कोरोना संक्रमण को हराने, जरूरतमंदों को उनकी बुनियादी आवश्यकताएं मुहैया कराने और मजदूरों को रोजगार दिलाने का प्रशासन का दावा खोखला होता नजर आ रहा है. गांव के करीब दो दर्जन परिवार आज भी राशन और रोजगार की आस लगाए बैठे हैं.

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भुखमरी की समस्या उत्पन्न

पाकुड़ जिला मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर बरमसिया गांव बसा है. जहां लॉकडाउन लागू होने के बाद से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के स्तर से राशन मुहैया कराने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन यहां के आदिवासी परिवार आज भी प्रशासन की ओर नजरें लगाए बैठे हैं. उन्हें आशा है कि सरकारी बाबूओं की नजर उनकी दशा और दिशा पर पड़ेगी और इन्हें भी राशन और रोजगार मिलेगा, ताकि विपदा की इस घड़ी में उनका पेट भर सके, लेकिन उनका सब्र अब टूटता जा रहा है.

दिव्यांग को नहीं मिल रहा राशन

इस गांव में जोसेफ टुडू नामक एक ऐसा दिव्यांग भी है, जिसके माता-पिता मजदूरी के लिए महाराष्ट्र गए थे और लॉकडाउन में वहीं फंस गए हैं. इस दिव्यांग को अभी तक कोई सरकारी मदद नहीं मिल पाई है. जोसेफ का एक बड़ा भाई है जो नाबालिग है और किसी तरह का रोजगार नहीं करता है. लोगों के रहम से किसी तरह दोनों का पेट भर रहा है, लेकिन इस लॉकडाउन में कोई कब तक सहायता करेगा. राशन कार्ड में भी उसका नाम नहीं है. इस वजह से उसे राशन नहीं दिया जा रहा है.

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नहीं मिल रहा रोजगार

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सात लोग जिनके पास राशन कार्ड नहीं थे, उन्होंने अपना नाम ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराया था और दस-दस किलो चावल सभी को दिया गया, लेकिन सिर्फ 10 किलो राशन से गुजारा कैसे चलेगा. लॉकडाउन में मिली विशेष छूट के बाद ग्रामीणों में विश्वास जगा था कि उन्हें किसी न किसी काम से जोड़ा जाएगा, ताकि मजदूरी के रूप में ही मिली राशि से वो अपना और अपने परिवार का पेट भर पाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

जरूरतमंदों को हर संभव मदद

मामले में डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि जरूरतमंदों को अनाज मिले. इसके लिए व्यवस्था को दुरुस्त कराया गया है और जनवितरण प्रणाली की दुकानों की मॉनिटरिंग के लिए दंडाधिकारी भी प्रतिनियुक्त किये गए हैं. उन्होंने कहा कि जहां से भी लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं, संबंधित दंडाधिकारी और डीलर के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि इस विपदा की घड़ी में जरूरतमंदों को हर संभव मदद की जा रही है.

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