पाकुड़: पूरे देश में कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर शासन और प्रशासन लाॅकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन करने के अलावा जरूरतमंदों को बुनियादी आवश्यकताएं मुहैया कराने और प्रवासी मजदूरों की घर वापसी कराने में जुटा है तो दूसरी ओर कोयला चोर कोयला चोरी करने में.
जिले के अमड़ापाड़ा लाॅकडाउन के बावजूद दर्जनों कोयला से लदे डंफरों से हजारों टन कोयले की चोरी हो रही है और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है. जिस रफ्तार से बेरोकटोक हजारों टन कोयले की चोरी हो रही है उससे कोयले की ढुलाई करने वाली कंपनी बीजीआर, पश्चिम बंगाल में बिजली का उत्पादन करने वाली डब्लूबीपीडीसीएल और सड़क मार्ग से रेलवे साइडिंग तक कोयला लाने वाले डंफरों के मालिक पस्त हैंं.
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अमड़ापाड़ा से पाकुड़ के 40 किलोमीटर के दायरे में कोयला चोर गिरोह का जिसमें स्थानीय के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के माफिया भी शामिल हैं. अमड़ापाड़ा पंचुवाड़ा नोर्थ कोल खदान से जिस डंफर पर 30 से 35 टन कोयला लादा जाता है रेलवे साइडिंग पहुंचते-पहुंचते उसकी मात्रा 8 से 9 टन उतारने के बाद हो जाती है यानी एक-एक डंफरों से 25 से 26 टन कोयले की चोरी चोर रोज होती है.
प्रतिदिन हो रहे हजारों टन कोयला चोरी के मामले में एसपी मणिलाल मंडल ने बताया कि पुलिस कोयला चोरी को रोकने का हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने बताया कि जो भी ग्रामीण जबरन वाहनों से कोयला उतार रहा है उसे समझाने बुझाने का प्रयास किया जा रहा है और अगर प्रशासन की बात वह नहीं सुनता है तो विधि संवत कार्रवाई की जाएगी.