पाकुड़: मलेरिया जोन के रूप में चिह्नित लिट्टीपाड़ा प्रखंड के जामकुंदर गांव में चार बच्चों समेत पांच लोगों की मौत के कारणों की जांच गठित टीम करेगी. उक्त जानकारी पाकुड़ सिविल सर्जन डॉ. मंटू कुमार टेकरीवाल ने एक बयान जारी कर दिया है. इस बयान में सिविल सर्जन ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की टीम लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 148 गांवों में घर-घर जाकर सर्वे कर रही है, मलेरिया की जांच कर रही है, दवा दे रही है और गंभीर स्थिति में पाए जाने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है.
सीएस डॉ. मंटू कुमार टेकरीवाल ने बताया कि अब तक 28 से 29 हजार लोगों का ब्लड टेस्ट किया जा चुका है, जिसमें से करीब 972 पॉजिटिव केस मिले हैं. उन सभी का इलाज किया गया है, वे सभी स्वस्थ हैं और अब तक किसी भी तरह से मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है.
मलेरिया से मौत को लेकर लोग गुमराह:सिविल सर्जन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से टीवी चैनल पर जो दिखाया जा रहा है, वह यह है कि जामकुंदर में पांच-पांच लोगों की मौत हो गयी है. लेकिन जब हम लोग स्पॉट पर गये और लोगों से जो बात की गयी तो पता चला कि इन खबरों से गांव के प्रधान तक गुमराह थे. जब उन्हें बुलाकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हमसे बोलने में मिस हो गया था. सभी मौत मलेरिया से हुई है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है. लेकिन पांच लोगों की मौत हुई है पर वे गांव में नहीं थे. 65 वर्ष की एक वृद्ध महिला की अधिक उम्र के कारण मृत्यु हो गई और अन्य लोग कम उम्र के थे लेकिन सभी किसी कारण से गांव से बाहर थे.
निजी नर्सिंग होम की रिपोर्ट की होगी जांच:सीएस ने बताया कि हमारी टीम गांव में घूम रही है और मौत कैसे हुई इसका कोई सबूत नहीं मिला है. सीएस ने बताया कि जहां तक निजी नर्सिंग होम में इलाज के दौरान बच्ची की मौत का मामला है तो हमारी टीम के सामने बच्ची नहीं दिखी और जब हमने निजी नर्सिंग होम की रिपोर्ट देखी तो डॉक्टर ने मौत लिखी है. मृत्यु प्रमाण पत्र में मलेरिया से मौत लिख दिया है, लेकिन जब उसी नर्सिंग होम का लेब रिपोर्ट देखा तो उसमें मलेरिया नोट फाउंड लिखा गया है.