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Published : May 18, 2020, 6:56 PM IST

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पाकुड़ की आदिवासी महिलाएं पीएम मोदी के 'लोकल को वोकल' नारा को कर रही सफल, बन रही हैं सशक्त

हमारे देश में आज भी महिलाओं को पुरुषों से कम शिक्षा और स्वतंत्रता दी जाती है. उन्हें आगे बढ़ने का मौका बहुत कम दिया जाता है. बाबजूद इसके ये महिलाएं पुरुषों की तुलना में काफी सशक्त हैं. जिसका जीता जागता उदाहरण पाकुड़ में देखने को मिल रहा है, जहां कम पढ़ी-लिखी होने के बावजूद आदिवासी महिलाएं स्वरोजगार में पुरुषों को पीछे छोड़ रही हैं.

पाकुड़: में प्रधानमंत्री के 'लोकल को वोकल' का नारा हो रहा सफल
PM's 'Local Ko Vocal' slogan being successful in Pakur

पाकुड़:रोजगार और आत्मनिर्भरता के मामले में जिले की आदिवासी महिलाएं भी पुरुषों से पीछे नहीं है. घरों का चौका बर्तन कर परिवार का भरण-पोषण करने वाली गांव की महिलाएं आज न केवल खुद को, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी स्वरोजगार और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अरहर खेती के बाद दाल उत्पादन का काम कर रही है.

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'लोकल को वोकल' का नारा हुआ चरितार्थ

पूरे देश में कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के दौरान महिला हो या पुरुष सभी अपने को सुरक्षित रखने के लिए अपने-अपने घरों में ही रह रहे हैं. प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन 4 लागू होने से पहले एक नारा दिया है. 'लोकल को वोकल' इसी नारे को चरितार्थ कर रही जिले की वैसी आदिवासी महिलाएं जो न केवल कम पढ़ी लिखी हैं, बल्कि इनका अधिकांश अबतक की जिंदगी बाल-बच्चों के पालन-पोषण और चौका बर्तन में गुजरा है.

मशीन से दाल निकालती आदिवासी महिला

एससीआई विधि से हुई अरहर की खेती

पाकुड़ की आदिवासी महिलाएं न केवल अरहर की खेती, बल्कि आज दाल का उत्पादन भी कर रही है. इन आदिवासी महिलाओं की ओर से उत्पादित दाल की खपत जिला प्रशासन आंगनबाड़ी केंद्रों में करेगा, जिसे गर्भवती और धातृ माताओं के बीच मुफ्त में वितरण किया जाएगा. जिले के दर्जनों गांव की आदिवासी महिलाएं अरहर की खेती के साथ-साथ इससे दाल बना रही है और खुद आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ अन्य महिलाओं को रोजगारोन्मुखी बना रही है. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने पहले एक हजार महिला किसानों से अरहर की खेती एससीआई विधि से करवाया.

बर्तन में दाल रखते महिलाएं

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मिनी दाल मिल उपलब्ध

जेएसएलपीएस ने एक-एक महिला किसानों को बीस-बीस डिसमिल खेतों में ढाई-ढाई सौ ग्राम अरहर की उन्नत किस्म का बीज मुहैया कराया. अरहर की उपज होने के बाद इसकी खरीदारी के लिए जिले के महेशपुर प्रखंड के देवीनगर पंचायत की महिला किसानों की ही एक महिला उत्पादक समूह का गठन कराया. महिला उत्पादक समूह खीरुडीह में अरहर की खेती की और खरीददारी करने के बाद उसे दाल बनाया जा रहा है. जेएसएलपीएस की ओर से एक मिनी दाल मील उपलब्ध कराया गया है और इस मिल में अरहर की ग्रेडिंग और प्रोसेसिंग भी महिलाएं भी कर रही है.

टेक होम राशन कार्यक्रम

महिला सशक्तिकरण के लिए ग्रामीण विकास विभाग की ओर से धरातल पर उतारी गयी महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना ने जिले के हजारों आदिवासी परिवारों के जीवन में बदलाव लाने का काम अब तक किया है. महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के तहत जिले में 150 क्विंटल अरहर दाल की उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है और लॉकडाउन के तीसरे चरण के बाद 6 क्विंटल अरहर दाल तैयार कर लिया गया है. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक अंकित कुमार ने बताया कि महिला उत्पादक समूह की ओर से तैयार किया गया दाल टेक होम राशन कार्यक्रम के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों को आपूर्ति की जाएगी.

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