पाकुड़:राज्य के सबसे पिछड़ा जिला पाकुड़ के महेशपुर प्रखंड के दर्जनों गांव के लोग पानी की किल्लत से परेशान हैं, आलम ये है कि लोगों को खेती करने का तो दूर पीने के लिए पानी भी नहीं मिल पा रहा है. लोग पेयजल की समस्याओं का निदान के लिए किसी उद्धारक की वाट जोह रहा है.
पानी को तरस रहे लोग, देखें पूरी खबर राज्य सरकार पानी, बिजली, सड़क की समस्या से लोगों को निजात दिलाने का लगातार दावा करती है, इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही है, लेकिन पाकुड़ में दर्जनों गांव आजादी के बाद भी पीने के दो बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. महेशपुर प्रखंड के लोगों ठगे महसूस करते हैं, उनका कहना है कि चुनाव आने के वक्त सभी पार्टी के नेता आते हैं, कई वादे करते हैं, लेकिन अबतक किसी अपने वादों को पूरा नहीं किया.
महेशपुर प्रखंड में 16 गांव हैं जहां आदिवासी और आदिम जनजाति पहाड़िया की आबादी सबसे ज्यादा है. गांव के अधिकांश महिला और पुरूष मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. पंचायत के सभी गांवों में कई साल पहले 70 चापानल लगाया गया था, लेकिन अब सिर्फ 10 चापानल ऐसे हैं जिससे गंदा पानी आता है. गांव के लोगों को पानी के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है, जिससे लोगों को काफी परेशानी होती है. नारायणटोला के पूराने कुएं की स्थिति भी बद से बदतर है. कुआं इतना जर्जर हो गया है कि लोग दुर्घटना के डर से पानी भरने नहीं आते हैं.
हाल में ही राज्य के मुख्यमंत्री ने 14वें वित्त आयोग की राशि से गांव में पेयजलापूर्ति व्यवस्था के लिए सभी पंचायतों के मुखिया को पांच लाख रूपये तक की योजना की स्वीकृति देने की छुट दी है, लेकिन योजना अबतक धरातल पर नहीं उतर पाई है.