पाकुड़:जिले के इलामी गांव निवासी कमाल शेख की नन्ही सी बच्ची मासुमा आज दर-दर की ठोकरें खा रही है. उसकी मासूमियत को नजर लग गई है और घर वाले गरीबी के आगे बेबस हो गए हैं. उसकी दाहिने आंख के उपर एक घाव हो गया. परिजनों ने छोटा-मोटा घाव समझकर शुरुआत में लापरवाही बरती. जिसका असर यह हुआ कि आज मासुम को एक आंख से दिखाई नहीं दे रहा है.
मां-पिता भटक रहे हैं दर-दर
पाकुड़ जिले में नेत्र विशेषज्ञ के पदस्थापित नहीं रहने और आर्थिक तंगी के चलते आज मासुमा के मां और पिता अपनी इस नन्ही बिटिया के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गए हैं. कभी जनप्रतिनिधि तो कभी सरकारी मुलाजिमों के यहां मासुमा को साथ लेकर उसके माता-पिता इस आस में चक्कर लगा रहे हैं कि उन्हें आर्थिक सहयोग मिलेगा और वह अपनी बेटी का इलाज करा पाएंगे. लेकिन इसे विडंबना कहा जाए या शासन-प्रशासन की लापरवाही की इस बच्ची के माता-पिता को न तो आयुष्मान भारत योजना का कोई कार्ड मिल पाया है और न ही राशन कार्ड.