पाकुड़: जिला के 250 पत्थर कारोबारियों को पर्यावरण का उल्लंघन करने के एवज में 725 करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरणीय शर्तों का उल्लंघन किए जाने को लेकर रामचंद्र माडी बनाम वेस्ट बंगाल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और ओआरएस में पारित आदेश के आलोक में यह निर्णय लिया है. झारखंड सरकार के निर्देश पर जिला खनन पदाधिकारी उत्तम कुमार विश्वास ने जुर्माना राशि की वसूली को लेकर कार्रवाई भी शुरू कर दी है. 15 दिनों के अंदर दोषी पाए गए व्यवसायियों को जुर्माना की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है.
जुर्माना राशि के भुगतान को लेकर नोटिस
एनजीटी के इस फैसले को लेकर पत्थर खदानों का संचालन करने वाले जिला के हिरणपुर पाकुड़ मालपहाड़ी, काशीला, महेशपुर प्रखंड के रद्दीपुर, सुंदरापहाड़ी, पाकुड़िया प्रखंड के खकसा, गोलपुर समेत कई स्थानों के कारोबारियों में हड़कंप मच गया है. जुर्माना राशि के भुगतान को लेकर नोटिस पाने वाले पत्थर व्यवसायी कानूनी सलाह एआन एनजीटी के इस फैसले को चुनौती देने के लिए अधिवक्ताओं के यहां चक्कर लगाना शुरू कर दिए है.
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पत्थर व्यवसायियों से जुर्माना राशि वसूलने का निर्देश
खनन विभाग के मुताबिक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल प्रिंसिपल बैंक न्यू दिल्ली की ओर से ओए संख्या 127/2020/E-Z रामचंद्र माडी बनाम वेस्ट बंगाल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड एंड ओआरएस के मामले में 19 अप्रैल 2018 के पारित आदेश के अनुपालन को लेकर इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन देहरादून की अनुशांगिक इकाई इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्टिविटी रांची एनवायरमेंट कंपंसेशन को लेकर सर्वे किया था. आईएफ की ओर से समर्पित प्रतिवेदन के बाद एनजीटी ने पाकुड़ और दुमका जिले में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करने वाले पत्थर व्यवसायियों से जुर्माना राशि वसूली को लेकर झारखंड सरकार को निर्देश दिया. सरकार की ओर से जिला खनन पदाधिकारी का उल्लंघन करने वाले पत्थर व्यवसायियों से जुर्माना राशि वसूलने का निर्देश जारी किया है. सरकारी आदेश के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी ने जुर्माना राशि जमा करने को लेकर जिले के 250 पत्थर व्यवसायियों को नोटिस जारी किया है. जारी नोटिस में 15 दिनों के अंदर जुर्माना राशि भुगतान करने का भी निर्देश दिया है.
एनजीटी की ओर से किये गए 725 करोड़ रुपये के जुर्माने को यहां के पत्थर व्यवसायी गलत और मनमानी बता रहे है. व्यवसायियों का कहना है कि एनजीटी के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिया जाएगा.