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पलायन किए मजदूरों की घर वापसी के प्रयास, नेता और प्रत्याशी इन्हें रिझाने की कर रहे कोशिश

चुनाव के समय ही नेता जनता के सेवक बनते हैं. सत्ता मिल जाने के बाद जन मुद्दे लगभग गौण हो जाती हैं. ऐसा ही कुछ पाकुड़ में हो रहा है. जहां विधानसभा चुनाव को लेकर आरोप-प्रत्यारोपों के बीच जनता को रिझाने का काम जारी है. पाकुड़ में बड़ी संख्या में मजदूर दूसरे राज्य पलायन करते हैं. चुनाव से पहले सभी मजदूरों की वापसी के प्रयास किए जा रहे हैं.

Migrating workers are returning home
पलायन करते मजदूर

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Published : Dec 9, 2019, 1:38 PM IST

पाकुड़: लोकतंत्र के महापर्व में खून पसीना बहा कर अपना परिवार चलाने वाले दिहाड़ी मजदूरों को हर कोई मनाने में लगा है. 20 दिसंबर को जिले के तीन विधानसभा क्षेत्र पाकुड़, लिट्टीपाड़ा और महेशपुर में चुनाव होने हैं. जिला प्रशासन की तरफ से मतदाताओं को जागरूक करने के साथ-साथ मजदूरों की घर वापसी भी कराई जा रही है. जिससे मतदान प्रतिशत बढ़ सके, लेकिन इससे भी ज्यादा रोजगार के लिए परदेस गए मजदूरों की घर वापसी कराने में राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी लगे हुए हैं.

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क्या है पलायन की मुख्य वजहपाकुड़ के ग्रामीण इलाकों के अलावा हिरणपुर, लिट्टीपाड़ा, अमरापाड़ा, महेशपुर और पाकुड़िया के हजारों मजदूर अब तक पश्चिम बंगाल के अलावा बिहार, असम आदि राज्यों में पलायन कर चुके हैं. इनके पलायन की मुख्य वजह सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था न होना, कल कारखाने स्थापित नहीं हुए और पत्थर उद्योग में भी मंदी है. मजदूरों के मुताबिक काम न मिलने के कारण उन्हें दूसरे राज्य पलायन करना पड़ता है.

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चुनाव के समय होते हैं सक्रिय
सत्ता पक्ष के नेता हो या विपक्ष का जेएमएम, कांग्रेस, झाविमो या आजसू किसी भी पार्टी ने मजदूरों को रोजगार दिलाने के लिए कुछ भी नहीं किया. चुनाव के समय सिर्फ आश्वासन दिया जाता है. सवाल यह भी उठ रहा है कि जब सरकार में थे और हैं तो मजदूरों को अपने ही प्रखंड और पंचायत में उन्हें रोजगार मुहैया कराने से किसने रोका.

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वहीं, इस मामले में जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह डीसी कुलदीप चौधरी का कहना है कि पलायन कर गए मजदूरों को 20 दिसंबर से पहले वापस लाने के लिए लेबर सुपरिटेंडेंट को निर्देश दिया गया. जिससे वह मतदान के पहले लौट जाए और मतदान प्रतिशत बेहतर हो सके.

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