पाकुड़: कोरोना संक्रमण से बचाव और रोकथाम को लेकर शासन और प्रशासन की ओर से सभी प्रयास हो रहे हैं. साथ ही जिले में जारी अनलॉक-1 के दौरान हर तबके का सुख दुख का ख्याल रख रहा है. जरूरतमंदों को भोजन कराने का मामला हो या अन्य मुद्दा सभी पर ध्यान दिया जा रहा है. खासकर मनरेगा पंजीकृत मजदूरों को मजदूरी मुहैया कराने का हर दिशा में जोर-शोर से काम हो रहा है.
रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का पलायन करने वाले मजदूर अब अपने ही गांव में मजदूरी कर रहे हैं और जो मजदूरी मिल रही है उससे अपना परिवार चला रहे हैं. लॉकडाउन के कारण से पाकुड़ जिले के मजदूर जो देश के दूसरे इलाकों में फंस गए थे उनके परिवार को भोजन कराने की सबसे बड़ी चुनौती शुरुआती दौर में प्रशासन के सामने थी.
जिला प्रशासन ने राशन का वितरण के अलावा मुख्यमंत्री दीदी किचन, मुख्यमंत्री दाल भात केंद्र एवं पुलिस प्रशासन के सहयोग से खोले गए सामुदायिक रसोई घरों में भोजन कराना शुरू किया. मजदूरों के परिवारों के अलावा जरूरतमंदों के पेट भर जरूर रहे थे परंतु उनके सामने रोजगार की समस्या मुंह बाये खड़ी थी. इसी दौरान प्रवासी मजदूरों की घर वापसी भी शुरू हो गया.
महाराष्ट्र, दिल्ली, हैदराबाद, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि कई राज्यों से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों बस, ट्रेन के अलावा पैदल भी अपने गांव आना शुरू किया.
मजदूरों को जिला प्रशासन ने क्वॉरेंटाइन सेंटर के अलावा होम क्वॉरेंटाइन किया गया. अवधि पूरी होने के बाद इन मजदूरों को रोजगार मुहैया कराने के लिए कार्य योजना तैयार की गयी.