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पाकुड़ जिले के मनरेगा में बिचौलिया करवा रहा है फर्जी भुगतान, बीडीओ की एफआईआर से हुआ खुलासा

पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड के बीडीओ द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर से ये खुलासा हुआ है कि मनरेगा में बिचौलिया मृत व्यक्ति को मजदूर दिखाकर फर्जी निकासी कर रहे हैं (MGNREGA Scam in pakur). बीडीओ उमेश कुमार स्वांसी का कहना है कि इस योजना में कुल खर्च की गई राशि की रिकवरी तत्कालीन मुखिया और पंचायत सचिव से की जाएगी.

MGNREGA Scam in pakur
MGNREGA Scam in pakur

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Published : Sep 14, 2022, 5:27 PM IST

पाकुड़:पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड में मजदूरों को रोजगार की गारंटी देने वाला एक्ट मनरेगा में मजदूरों की उपस्थिति दर्ज कराने, उनके डिमांड और फर्जी तरीके से भुगतान कराने में बिचौलिया इन दिनों काफी हावी है (MGNREGA Scam in pakur). मृत व्यक्ति को मजदूर दिखाकर फर्जी निकासी मामले में हिरणपुर बीडीओ द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी से ये खुलासा हुआ है.

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हिरणपुर प्रखंड का मामला: पाकुड़ जिले के हिरणपुर प्रखंड के बागशीशा पंचायत में कमल चंद पंडित के जमीन पर मनरेगा के तहत बिरसा मुंडा बागवानी योजना की स्वीकृति दी गयी थी. इस योजना में एक ऐसे मजदूर के नाम पर फर्जी निकासी कर ली गई जिसकी मृत्यु 2019 में सड़क दुर्घटना में हो गयी थी. मामले को ईटीवी भारत ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. समाचार प्रकाशित होने के बाद हिरणपुर प्रखंड के कर्मी और अधिकारी ने मामले की जांच की. जांच के बाद बीडीओ उमेश कुमार स्वांसी ने हिरणपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया.

बीडीओ द्वारा दिये गए आवेदन पर पुलिस कांड संख्या 115/22 व भारतीय दंड विधान की धारा 406, 420, 467 एवं 468 के तहत मनोज साहा को नामजद अभियुक्त बनाया. बीडीओ द्वारा थाने को दिए अपने लिखित शिकायत में उल्लेख किया गया है कि लाभुक कमल चंद पंडित के लिखित बयान से स्पष्ट होता है कि इस योजना में बिचौलिया मनोज साहा की भूमिका है और उनके द्वारा फर्जी तरीके से योजना में बिना कार्य किये पंचायत कार्यालय से भुगतान कराया गया. बिचौलिया द्वारा मृत व्यक्ति सुबोध पंडित के नाम से फर्जी डिमांड देकर मास्टर रोल में उपस्थिति दर्ज कराकर पंचायत कार्यालय से मजदूरी का भुगतान कराया गया.

बीडीओ की एफआईआर सिर्फ खानापूर्ति:शिकायत में बीडीओ ने यह भी उल्लेख किया है कि बिना कार्य कराए फर्जी भुगतान कराकर गबन करना एवं मृत व्यक्ति को मजदूर बनाकर उसके नाम से डिमांड एवं भुगतान कराना मनरेगा अधिनियम का सरासर उल्लंघन है. जानकारों के मुताबिक मनरेगा में बिचौलिया कहीं नहीं है और यदि विभाग के अधिकारी बिचौलिया की बात करते हैं तो बिना कार्यालय कर्मी के साठगांठ बिचौलिया न तो डिमांड दे सकता है और न भुगतान करवा सकेगा. ऐसे में मनरेगा से जुड़े कर्मियों को बचाने के लिए बीडीओ ने सिर्फ बिचौलिया पर एफआईआर दर्ज कराकर खानापूर्ति करने का काम किया है.

इधर हिरणपुर बीडीओ उमेश कुमार स्वांसी का कहना है कि इस योजना में कुल खर्च की गई राशि की रिकवरी तत्कालीन मुखिया एवं पंचायत सचिव से की जाएगी. उन्होंने बताया कि पंचायत सचिव की लापरवाही को देखते हुए उन पर विभागीय कार्रवाई एवं निलंबन के लिए वरीय पदाधिकारी को पत्राचार किया गया है.

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