पाकुड़: लिट्टीपाड़ा में सरकारी विभाग की उदासीनता के कारण स्थानीय लोग तालाबों और नालों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. वृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजना की धीमी रफ्तार के कारण यहां पेयजल की समस्या लगातार बनी हुई है, जिससे स्थानीय लोग जूझ रहे हैं. वहीं विभाग ने इसके लिए बिजली विभाग को दोषी ठहराया है.
पेयजल योजना में लापरवाही
पीएम नरेंद्र मोदी ने देश के घर-घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा था. पाकुड़ में भी इस योजना के तहत 217 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले लिट्टीपाड़ा वृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजना का शिलान्यास 5 साल पहले तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने किया था. लेकिन इस योजना की प्रगति की जो स्थिति है उससे अंदाजा लगाना बिल्कुल आसान है कि शायद ही आने वाले गर्मी के मौसम में लिट्टीपाड़ा प्रखंड के 272 गांव के लोगों को पानी नल जल योजना से मिल पाएगा.
बिखरे पड़े हैं उपकरण
इस योजना के तहत चेकडेम, जलमीनार का काम अब तक पूरा नहीं हुआ है. पाइपलाइन विस्तारीकरण का काम भी अटका पड़ा है. इस योजना को लेकर विभाग कितना संजीदा है इसका प्रमाण कई स्थान पर बिखरे पाइप और दूसरे उपकरण दे रहे हैं. योजना को पूरा करने में हो रहे विलंब के लिए पेयजल स्वच्छता विभाग ने बिजली विभाग को जिम्मेवार ठहराया है और कहा ट्रांसफार्मर लगाने में देरी की वजह से योजना को पूरा करने में दिक्कत हो रही है.
गंदे नाली और नदी का पानी पी रहे हैं ग्रामीण
पेयजल योजना के क्रियान्वयन में देरी की वजह जो भी हो इसका खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं. उनको पेयजल जैसी मूलभूत सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो रही है. नतीजा यहां के लोग गंदा नाला और नदियों का पानी पीने को मजबूर हैं. ये लोग आम दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए गांव से कई किलोमीटर दूर जंगल जाकर पानी लाने को विवश हैं
जून 2022 तक पूरी होगी योजना
इस मामले में जब डीसी वरूण रंजन को ग्रामीणों की समस्या के बारे में बताया गया तो उन्होंने जून 2022 तक इस योजना के पूरा होने की बात कही है. उनके मुताबिक लिट्टीपाड़ा वृहद ग्रामीण जलापूर्ति योजना जल्द चालू हो इसके लिए लगातार समीक्षा की जा रही है. उन्होंने बताया कि लिट्टीपाड़ा प्रखंड को कुल 6 जोन में बांटा गया है जिसमें जोन 4, 5 एवं 6 में मार्च 2022 तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य है जबकि जोन 1,2 और 3 में जून 2022 तक योजना को पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि शुरुआत में इससे 10 हजार घरों को फायदा होगा, जिसे बाद में बढ़ाकर 20 हजार तक किया जाएगा.