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CAA और NRC के खिलाफ हो रही है लामबंदी, 19 जनवरी को पाकुड़ में विशाल आमसभा की तैयारी

सीएए और एनआरसी के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता दिखने लगी है. देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन और केंद्र सरकार के खिलाफ लामबंदी अब झारखंड में दस्तक दे चुकी है. गुरुवार को पाकुड़ में भारतीय संविधान बचाओ समिति ने बैठक की और आगामी 19 जनवरी को विशाल आमसभा करने का फैसला लिया है.

Meeting held in Pakur against CAA and NRC
भारतीय संविधान बचाओ समिति की बैठक

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Published : Jan 10, 2020, 12:26 PM IST

पाकुड़:नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विपक्ष का लामबंद हो चुका है. उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मुंबई के बाद अब झारखंड में भी इसका एहसास होने लगा है. गुरुवार को पाकुड़ में एनआरसी और सीएए के खिलाफ भारतीय संविधान बचाओ समिति ने बैठक की.

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केंद्र सरकार के खिलाफ विपक्ष लामबंद

सीएए पर लोगों को एकमत करने के लिए एक तरफ केंद्र सरकार, संघ और बीजेपी लगातार प्रयास कर रही है. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष और विभिन्न समाजिक संगठनों के लोग सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को पाकुड़ जिला मुख्यालय के बापू पुस्तकालय में सीएए और एनआरसी के खिलाफ आयोजित बैठक की गई. इस बैठक की अध्यक्षता भारतीय संविधान बचाओ समिति के अध्यक्ष हाजी इकबाल हुसैन ने की.

19 जनवरी को विशाल जनसभा करने की तैयारी

बैठक में मौजूद लोगों ने केंद्र सरकार की ओर से लाए गए एनआरसी और सीएए को वापस लेने की मांग की. वहीं, बैठक में पहुंचे ग्रामीण और शहरी इलाकों के दर्जनों लोगों ने भारतीय संविधान बचाओ समिति की ओर से मोदी सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की. बैठक में समिति ने सीएए और एनआरसी को देश की जनता के हितों के खिलाफ बताया. आयोजित बैठक में यह तय किया गया कि इस मुद्दे को लेकर आगामी 19 जनवरी को जिला मुख्यालय के उच्च विद्यालय के पास एक बड़ी जनसभा की जाएगी, ताकि सरकार को इस फैसले का विरोध का एहसास हो सके.

सरकार NRC और CAA पर पुनर्विचार करे

बैठक की जानकारी देते हुए समिति के सचिव शाहीन परवेज ने कहा कि देश की जनता के खिलाफ एनआरसी और सीएए लागू करने का फैसला है, जिसको हम कभी भी स्वीकार नहीं कर सकते हैं. वहीं बैठक में भाग लेने आए मौलाना अंजर कासमी ने कहा कि सरकार इस कानून पर दोबारा ध्यान दें और इस पर पुनर्विचार करें. उन्होंने कहा कि मुस्लिम धर्म के लोग कभी भी सिटीजनशिप का विरोध नहीं किया, परंतु यहां धर्म के आधार पर सीएए और एनआरसी को लाया गया है. इसलिए इसका विरोध करना हमारा कर्तव्य है.

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सरकार पहले असम में नागरिकता देने को लेकर अपना पक्ष बताए

वहीं, मौलाना कासमी ने कहा कि असम में 19 लाख लोगों को नागरिकता से बाहर कर दिया गया है. उसमें से 5 लाख मुस्लिम और 14 लाख हिंदू धर्म के लोग शामिल हैं. पहले इस पर सरकार साफ करे कि, इस आंकड़ों को लेकर सरकार क्या करने वाली है. उसके बाद इस पर विचार करने की जरुरत है. मौलाना कासमी ने कहा कि सरकार ताकत के बल पर सीएए और एनआरसी लागू करने की कोशिश करेगी तो आम आवाम विरोध करते रहेगी.

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