पाकुड़: जिले का पशुपालन विभाग भगवान भरोसे चल रहा है, लेकिन शासन प्रशासन की नजर अबतक इस ओर नहीं पड़ी है, जिसके कारण इस विभाग से पशुपालकों को मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ रहा है. इस विभाग से पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस कार्यालय में न तो सहायक है और ना ही चपरासी है. कार्यालय के सभी कामकाज का निपटारा जिला गव्य विकास पदाधिकारी को ही करना पड़ता है.
पाकुड़ में सभी जिलास्तरीय कार्यालय समाहरणालय में है और इक्का-दुक्का कार्यालय आसपास है. जिले के मलपहाड़ी रोड में स्थित पशुपालन विभाग से पशुपालन करने वाले किसानों को लाभ मिलता है, लेकिन इस कार्यालय में न तो सहायक है और न ही चपरासी. कार्यालय के सभी कामकाज का निपटारा जिला पशुपालन विभाग के पदाधिकारी खुद करते हैं. पशुपालन विभाग से जिले में 16 कृत्रिम गर्भाधान केंद्र पूर्व में संचालित था, लेकिन बीते दो सालों से सभी गर्भाधान केंद्रों में ताला लटका हुआ है. गर्भाधान केंद्रों के आसपास झाड़ जंगल उग गए हैं. इस विभाग से पशुपालकों को कोई खास फायदा नहीं मिल रहा है. पशुपालकों के मुताबिक जब कृत्रिम गर्भाधान केंद्र चालू था तभी अपने पशुओं की गर्भ जांच कराने, बांझपन को दूर कराने में सुविधा होती थी, लेकिन जब से कृत्रिम गर्भाधान केंद्र बंद हुआ है तब से झोलाछाप डॉक्टरों का सहारा लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यदि केंद्र चालू रहता तो गांव में ही पशुओं की जांच कराने में सुविधा होती.