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रांची में JMM कार्यकर्ताओं ने शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि, भारत सरकार से कीचीन को सबक सिखाने की मांग

भारत और चीनी सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में देश के शहीद जवानों को झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने अलग ही अंदाज में नमन किया. दर्जनो की संख्या में जेएमएम जिलाध्यक्ष श्याम यादव के नेतृत्व में कार्यकर्ता बिरसा चौक पर पहुंचे और दो मिनट का मौन रखकर शहीद जवानों को श्रद्धांजली अर्पित की.

JMM activists pay tribute to martyred soldiers in Ranchi
रांची में झामुमो कार्यकर्ताओं ने शहीद जवानों को दी श्रद्धांजलि

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Published : Jun 18, 2020, 7:08 PM IST

पाकुड़: गलवान घाटी में भारतीय जवानों पर चीनी सेना द्वारा किए गए हमले को लेकर देश के लोगों में गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है. कोई चीन के राष्ट्रपति का पुतला जला रहा तो कोई चीनी सामानों के बहिष्कार की घोषणा कर रहा है. देश के हर वर्ग और तबके के लोगों में चीनी सैनिको और वहां के राष्ट्रपति के खिलाफ आक्रोश के साथ-साथ अपने देश के वीर जवानों की शहादत पर गर्व भी है.

इसी क्रम में गुरुवार को अपने देश के शहीद जवानों को झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने अलग ही अंदाज में नमन किया. दर्जनो की संख्या में झामुमो जिलाध्यक्ष श्याम यादव के नेतृत्व में कार्यकर्ता बिरसा चौक पर पहुंचे और यहां कैंडल जलाकर दो मिनट का मौन रखकर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर झामुमो जिलाध्यक्ष ने कहा कि देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए वह और उनकी पार्टी सरकार और सेना के साथ खड़े हैं. उन्होंने भारत सरकार से चीन को सबक सिखाने की भी मांग की. इस मौके पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के शहीद इकबाल, मो. मुस्लेउद्दीन के अलावे दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे.

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क्या है घटना

बता दें कि भारत और चीनी सेनाओं के बीच 15-16 जून की रात को हिंसक झड़प हुई. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान दोनों तरफ से हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. भारतीय सेना ने अपने बयान में कहा था कि हिंसक झड़प में दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है. लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में झारखंड के रहने वाले दो जवान भी शहीद हुए हैं. इसमें बहरागोड़ा ब्लॉक के कोसाफलिया निवासी गणेश हांसदा (21) और साहिबगंज के कुंदन ओझा शामिल हैं. 1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में हुए संघर्ष में चार भारतीय जवानों की शहादत के बाद यह इस तरह की पहली घटना है.

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