पाकुड़: झारखंड के अंतिम छोर में बसे पाकुड़ जिला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री आवास योजना को जालसाज और फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह की नजर लग चुकी है. यही वजह है कि लाभुक परेशान हैं, वहीं प्रशासन की नींद हराम हो गयी है. ऐसा इसलिए कि जिला के महेशपुर प्रखंड के लगभग 36 गांव के पीएम आवास योजना के लाभुकों के खाते से फर्जीवाड़ा कर ताबड़तोड़ राशि की निकासी हो रही है.
पीएम आवास योजना के लाभुकों के साथ हो रहे फर्जीवाड़े मामले में शामिल अपराधियों की पहचान और मामले का उद्भेदन भी नहीं हो पा रहा है और हर एक दिन के बाद लाभुकों के खाते से राशि निकासी मामले सामने आते जा रहे हैं. जिला के पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक और राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम हैं तो महेशपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे प्रोफेसर स्टीफन मरांडी राज्य के कार्यकारी 20 सूत्री अध्यक्ष हैं. ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि दो-दो कद्दावर विधायक के क्षेत्र में गरीबों को एक अलग पक्का मकान मुहैया कराने वाली योजना के लाभुकों के खाते से लगातार फर्जी तरीके से निकल रही लाखों रुपए राशि मामले की तह तक शासन प्रशासन क्यों नहीं पहुंच पा रहा है.
फर्जीवाड़ा के शिकार होते गरीब
पाकुड़ जिले का अनुसूचित जनजाति सुरक्षित महेशपुर विधानसभा क्षेत्र है इस क्षेत्र में अधिकांशत: अशिक्षित, गरीब और मजदूर तबके के लोग रहते हैं. जिनके फूस और टाली के पुराने मकान है. केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री आवास का सरकार ने इन भोले-भाले और अशिक्षित और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पक्का मकान मुहैया कराने के लिए लाभुक बनाया. सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद इन लाभुकों के बैंक खाते में बतौर अग्रिम एवं द्वितीय किस्त की राशि भी भेजी गयी. राशि लाभुकों के खाते में जैसे ही पहुंची फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने किसी के खाते से 20 हजार तो किसी के खाते से 40 और 75 हजार तक बिना लाभुकों की जानकारी के लिए अब तक सिर्फ महेशपुर प्रखंड के तेलियापोखर, गायबथान, अभुआ, पोखरिया, भेटाटोला पंचायत के तीन दर्जन पीएम आवास योजना के लाभुकों के खाते से लाखों रुपए के अवैध तरीके से निकासी कर ली गयी है. हो रहे इस फर्जीवाड़े मामले में अब तक चार अलग अलग थाने में दर्ज हुए हैं.
दुश्वारियों में जी रहे लाभुक
फर्जीवाड़ा गिरोह के जारी करतूत के कारण कई पीएम आवास योजना के लाभुक जिनके प्रथम किश्त की राशि उड़ा ली गयी मकान बनाने का काम शुरू नहीं कर पाए तो कई लाभुक दूसरी किस्त की राशि खाते से एकाएक गायब हो जाने के कारण अपने अधूरे आवाज को ना केवल निहार रहे बल्कि जैसे-तैसे फूस और छप्पर के घरों में परिवार के साथ दिन-रात किसी तरह काट रहे हैं. फर्जीवाड़ा का शिकार हुए लाभुकों को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि यदि उनके बैंक खातों से फर्जीवाड़ा कर निकाली गई राशि रिकवरी नहीं करायी गयी तो वो अपना घर नहीं बना पाएंगे और उन्हें दुश्वारियों में जीना पड़ेगा.