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कोरोना के बाद मौसम की मार से बेहाल किसान, सब्जियों के सड़ने से झेल रहे आर्थिक तंगी

मेहनत और खून पसीना बहाकर किसान इस आस में खेती कर रहे हैं कि उनकी उपज अच्छी होगी और अपने उत्पादित फसलों के अलावा साग सब्जी बाजार में बेचेंगे, इसका अच्छा मूल्य मिलेगा और खुद के साथ-साथ परिवार का अच्छे तरीके से भरण-पोषण होगा, पर ऐसा हो नहीं रहा है.

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Published : Sep 16, 2020, 8:08 PM IST

पाकुड़: कम लागत में अधिक उपज के साथ ही किसानों की आय दोगुनी कर उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें हर मुमकिन कोशिश कर रही है. इसके बावजूद किसानों के दिन सरकार के दावे के मुताबिक नहीं बहुर रहे हैं.

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जिला के हीरानंदपुर, शहरकोल, चांडालमारा, जोरडीहा, बसंतपुर समेत ऐसे गांव हैं जहां के किसानों को कोरोना संक्रमण के फैलाव के बाद औसत से हुई ज्यादा बारिश के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. अगर समय रहते सरकार ने खासकर सब्जी की खेती में शामिल किसानों को वैकल्पिक खेती की व्यवस्था या सुविधा नहीं देती है तो उनके समक्ष आर्थिक संकट की स्थिति खड़ी हो जाएगी.

किसान लाचार और बेबस

एक तरफ कोरोना और मौसम की मार से जिला के सब्जी की खेती करने वाले किसान बेबस और लाचार हो गए हैं. आखिर इन किसानों के दोहरी मार पड़ रही है. कोरोना में उन्हें उत्पादित सब्जियों को औने पौने दामों में बेचना पड़ा. वहीं दूसरी ओर मौसम ने ऐसी मार लगी है कि साग सब्जियों की खेत में लगी सब्जियां सड़ गईं. अत्यधिक बारिश की वजह से नेनुआ, बैगन, कद्दू झिंगली, कच्चू, हरी मिर्च आदि सब्जी क्षेत्रों में सड़ गल गया है. आज जिले के सैकड़ों सब्जी की खेती करने वाले किसान हुए नुकसान को लेकर परेशान हैं.

कृषि विभाग के पास नहीं है कोई योजना

कृषि विभाग के पास ऐसी कोई योजना नहीं है जो साग-सब्जी की खेती करने वाले वैसे किसान जिन्हें कोरोना और मौसम की मार झेलनी पड़ी है, कोई राहत दिला पाए. अलबत्ता किसानों को सब्जियों के हुए नुकसान का आकलन कर सरकार को भेजी गयी है.

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बता दें कि पाकुड़ जिले के किसानों की उत्पादित साग सब्जी जिले के साप्ताहिक हाट के अलावा बिहार के कई जिलों में ले जाए जाते हैं. लेकिन कोरोना और मौसम की मार ने इन किसानों को बेबस और लाचार कर दिया है.

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