पाकुड़: विश्वव्यापी कोरोना महामारी आम सहित खास सभी परेशान हैं. कोई लॉकडाउन की वजह से एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं जा पा रहा है तो मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा. करोना को हराने और भगाने की देश में चल रही मुहिम में हर वर्ग के लोग देश के साथ खड़े तो हैं पर कई ऐसा तबका भी है जो प्रकृति के साथ-साथ कोरोना की मार भी झेल रहा है. वह तबका है किसान.
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देशवासियों को भरपेट भोजन कराने का इंतजाम करने वाले किसानों की हालत इन दिनों काफी खराब है. हजारों किसान जहां प्रकृति की मार से पहले परेशान थे तो आज कोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम को लेकर शासन प्रशासन के दिए गए निर्देशों और लॉकडाउन की वजह से भी परेशान हो रहे हैं. जिले के ग्रामीण इलाकों के किसानों को उपजायी गयी फसल हो या सब्जी उसका भी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
वहीं सरसों, गेहूं, तीसी, चना, मकई के अलावा प्याज की फसल को भी भारी नुकसान हुआ है. लगायी गयी फसलों की पानी के अभाव में सिंचाई नहीं होने के कारण जहां आच्छादन अपेक्षाकृत कम हुए तो वहीं प्याज, तीसी, गेहूं, मकई की फसलें अच्छी तरह नहीं हो पायी. लॉकडाउन होने के बाद किसानों के खेतों में लगायी गयी फसलें कड़ाके की धूप की वजह से सूख गए हैं. कई ऐसी फसलें भी थी जिसकी पैदावार नहीं हो पायी है. हालांकि लॉकडाउन के बावजूद खेतों में लगायी गयी फसलों की कटाई और बुआई के लिए इस शर्त पर छूट दी गयी कि किसान खेतों में काम करने के दौरान सोशल डिस्टेंस बरकरार रखें.
इस मामले में कृषि विभाग के बीटीएम मोहम्मद शमीम अंसारी ने बताया कि लॉकडाउन के कारण किसानों के बीच समस्या उत्पन्न हुई है. हालांकि 28 मार्च के बाद सरकार का आदेश है कि किसान अपने-अपने खेतों में लगाए गए फसल की देखभाल, कटाई आदि कर सकते हैं लेकिन सोशल डिस्टेंस बनाकर. उन्होंने बताया कि जिले में कितने हेक्टेयर में फसल का नुकसान हुआ है इसका आकलन अब तक नहीं किया गया है.