पाकुड़ःयोजनाओं में गड़बड़झाला, कार्य कम और राशि की ज्यादा निकासी करने के मामले में डीसीसी के निर्देश पर हिरणपुर प्रखंड के बीडीओ उमेश कुमार स्वांसी ने तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करायी है. हिरणपुर बीडीओ ने थाने को दिए आवेदन में उल्लेख किया है कि प्रखंड के शहरपुर ग्राम में मुख्य सड़क से फतेह हांसदा के घर तक 15 वें वित्त आयोग की राशि से पीसीसी सड़क निर्माण कराया गया, लेकिन जांच के क्रम में वास्तविक कार्य से अधिक मापी पुस्तिका में दर्ज की गई और प्राक्कलन के अनुसार कार्य नहीं किया गया. इस योजना में कनीय अभियंता प्रेमचंद टुडू, पंचायत सचिव लोगेन मरांडी और मुखिया वकील मरांडी की लापरवाही की सामने आयी है. इन तीनों के खिलाफ कांड संख्या 46/23 और भादवी की धारा 406, 420, 409, 417/34 दर्ज की गई है.
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आंगनबाड़ी निर्माण और सिंचाई कूप निर्माण में गलत ढंग से राशि की निकासीः दूसरा मामला मनरेगा से बड़तल्ला पंचायत आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण कार्य पूरा कराये बिना ही पंचायत सचिव जमीन मरांडी और मुखिया पकु हेंब्रम ने राशि की ज्यादा निकासी कर ली है. इन दोनों के खिलाफ थाने में कांड संख्या 45/23 दर्ज की गई है. वहीं डांगापाड़ा पंचायत में बिरसा राय की जमीन पर सिंचाई कूप निर्माण में कनीय अभियंता प्रेमचंद टुडू, जनसेवक रितेश कुमार, रोजगार सेवक कार्नेलियुस टुडू और पूर्व मुखिया शर्मिला हेंब्रम ने साजिश कर एक लाख, 57 हजार, 246 रुपए की अधिक निकासी कर ली है. इस मामले में कांड संख्या 47/23 दर्ज किया गया है.
शिकायत मिलने के बाद डीसी ने जांच टीम गठित की थीःबता दें कि हिरणपुर प्रखंड में मनरेगा, 15 वें वित्त आयोग, पीएम आवास योजना सहित कई योजनाओं में सरकारी राशि की बंदरबाट होने की लगातार मिल रही शिकायत पर डीसी वरुण रंजन ने इस प्रखंड के सभी पंचायतों में चल रही योजनाओं की जांच के लिए टीम गठित की थी. जांच रिपोर्ट में भारी अनियमितता सामने आयी है. डीसी ने योजना से जुड़े सभी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश डीडीसी को दिया है. उसके बाद डीडीसी ने बीडीओ हिरणपुर को योजना से जुड़े कर्मियों और पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. जिसपर हिरणपुर बीडीओ उमेश कुमार स्वांसी ने तीन अलग-अलग आवेदन प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाने में दिया है.
बीडीओ और बीपीओ की कार्यशैली पर भी उठ रहे सवालःअब ऐसे में सवाल उठता है कि मनरेगा, 15 वें वित्त आयोग से कराए जा रहे निर्माण कार्य की वित्तीय और भौतिक समीक्षा प्रतिमाह प्रखंड से लेकर जिलास्तर के अधिकारी करते हैं तो यह गड़बड़झाला सामने क्यों नहीं आया. क्या इन योजनाओ में हुई गड़बड़ी में सिर्फ कनीय अभियंता, रोजगार सेवक, पंचायत सचिव और मुखिया ही दोषी हैं. हिरणपुर थाने में दर्ज करायी गई तीन एफआईआर के बाद आम लोग तो चर्चा कर ही रहे हैं, साथ ही विभागीय कर्मी हो या पदाधिकारी सभी दबी जुबान से यह कह रहे हैं कि इस गड़बड़ी पर प्रखंड के बीपीओ और बीडीओ पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई.