पाकुड़: इस्लाम धर्मावलंबियों के पाक माह-ए-रमजान पर भी कोविड-19 का असर दिख रहा है. ऐसा इसलिए जिस पवित्र माह रमजान के मौके पर बीते कई सालों से बाजारों में चहल-पहल रहती थी, लोग अपने-अपने घरों से निकलकर मस्जिदों में इबादत किया करते थे और दावते इफ्तार का आयोजन होता था, लेकिन कोरोना के कारण सब बंद है.
कई तरह के आयोजनों पर लगी है रोककोरोना वायरस से बचाव और रोकथाम को लेकर देश में चल रही मुहिम में कई तरह के आयोजनों पर रोक लगी हुई है, क्योंकि जान है तो जहान है. कोरोना से जारी जंग के बीच पहली बार इस्लाम धर्मावलंबी भी पूरी सादगी के साथ माह-ए-रमजान में रोजा रख रहे हैं और अपने-अपने घरों में ही सोशल डिस्टेंस का ध्यान रखकर नमाज भी पढ़ रहे हैं.
ये भी पढ़ें-कोटा से धनबाद पहुंची 3 छात्राओं की रिपोर्ट आई नेगेटिव, संदेह पर जांच के लिए रोका गया था
कोरोना वायरस का असर
कोरोना वायरस का असर रमजान के पवित्र महीने में रोजगार पर भी पड़ा है. जिला मुख्यालय हो या प्रखंड मुख्यालय और ग्रामीण इलाका यहां फल, दूध के अलावा अन्य सामानों की दुकानें लगी हैं. सामान भी हैं, पर नहीं हैं तो खरीददार. रमजान के मौके पर फल, दूध, मांस, अंडा पोस्टिक आहार बाजार में सभी सामान मौजूद हैं, लेकिन खरीदने वाले लोग नहीं पहुंच रहे हैं. पाकुड़ जिले में भारी तादाद में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं. अधिकांश लोगों का मुख्य पेशा मजदूरी है. कई इस्लाम धर्मावलंबी खेतों के अलावे कारोबार भी करते हैं, लेकिन बीते एक माह से लॉकडाउन के कारण न केवल कारोबार ठप है, बल्कि कल कारखाने, व्यापारिक प्रतिष्ठान सभी बंद हैं.
बाजार में खरीददारों की कमी ये भी पढ़ें-जमशेदपुर गैंगवार: अखिलेश गिरोह के 6 सदस्यों को पुलिस ने भेजा जेल
नहीं हैं पैसे
रोजमर्रा के सामानों की खरीदारी से संबंधित दुकानें खुली हुई हैं, ताकि आपदा की इस घड़ी में अपना पेट भर सकें. ऐसे में जब रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं, व्यापारिक कारोबार नहीं हो रहा तो पैसे आएंगे कहां से. रमजान के इस पवित्र महीने में सिर्फ ज्यादा परेशानी रोज कमाने और खाने वाले लोगों को उठानी पड़ रही है. वे रोजा रख रहे हैं, अल्लाह की इबादत कर रहे हैं पर उन्हें जो पोस्टिक आहार का सेवन करना चाहिए वे नहीं कर पा रहे हैं. क्योंकि इसके लिए जो पैसे की जरूरत है वह पर्याप्त नहीं है. बाजारों में जिस तरह की रौनक बीते वर्ष रमजान के महीने में रहती थी, आज वह नहीं दिख रही है. सेवई, खजूर, फल की दुकानें सजी जरूर हैं पर इसकी बिक्री करने वाले लोगों को ग्राहक नहीं मिल रहे.
घंटों खाली बैठे रहते हैं दुकानदार ये भी पढ़ें-SPECIAL: कातिल कोरोना ने कुलियों का जीना किया मुहाल
काफी नुकसान
वहीं, रोजेदारों का कहना है कि कामधंदा बंद हो जाने के कारण उतने पैसे नहीं है कि वे पौष्टिक आहार लें सके. छोटे-छोटे दुकानदारों का कहना है कि बाजार में ग्राहक नहीं रहने के कारण फलों की बिक्री नहीं हो रही और फल सड़ भी रहे हैं, ऐसे में उन्हें काफी नुकसान भी हो रहा है.