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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक आलमगीर आलम का रिपोर्ट कार्ड

पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र अल्पसंख्यक बहुल है. यहां की ज्यादातर आबादी पत्थर से जुड़े और बीड़ी बनाने के अलावा खेती-बाड़ी का काम करते हैं. इस सीट पर कांग्रेस ने सबसे ज्यादा समय तक राज किया है. वहीं, इस क्षेत्र में कई मुद्दे ऐसे हैं जिसपर काम किया जाना बाकी है. इस विधानसभा चुनाव में ये मुद्दें निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

विधायक आलमगीर आलम

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Published : Oct 14, 2019, 5:09 PM IST

पाकुड़ः अल्पसंख्यक बहुल पाकुड़ विधानसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. किसी भी विधानसभा चुनाव में यदि दमदार मुस्लिम प्रत्याशी की संख्या 2 से ज्यादा रही तभी भाजपा जीत पाई है. इस सीट पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक बार जीत का स्वाद चखा है. इस क्षेत्र में महागठबंधन के झामुमो के अकील अख्तर हो या कांग्रेस के आलमगीर आलम एक साथ बैठना तो दूर आमने-सामने होने से भी गुरेज करते हैं.

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2005 से अबतक
झारखंड गठन के बाद 2005 में कांग्रेस के आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे. वहीं, साल 2009 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के मौलाना अख्तर ने कांग्रेस के पूर्व स्पीकर आलम को पराजित किया था. 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी आलमगीर आलम ने 83 हजार 338 मत, झारखंड मुक्ति मोर्चा के अकील अख्तर 65 हजार 272 और भारतीय जनता पार्टी के रंजीत कुमार तिवारी ने 64 हजार 489 मत हासिल किया था.

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क्या कहना है विधायक का
पाकुड़ विधायक आलमगीर आलम का कहना है कि पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र में कई सड़कों की स्थिति खराब हो गई थी, जिसे दुरुस्त कराने के अलावा नए सड़कों का निर्माण उनके कार्यकाल में हुआ है. क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पीने का पानी मिले इसके लिए अनगिनत नलकूपों को स्थापित किया गया. वहीं, पाइपलाइन के जरिए लोगों के घरों तक शुद्ध पीने का पानी पहुंचाया गया. क्षेत्र में सड़क के अलावा पुल-पुलिया का भी निर्माण कराया गया. जो क्षेत्र की जनता से जो वादे किए थे उसे पूरा किया.

रोजगार सृजन के सवाल पर विधायक आलमगीर आलम ने कहा कि रोजगार देना एक विधायक के लिए संभव नहीं है, वजह कल कारखानों की स्थापना सरकार की जवाबदेही है और इस मामले में रघुवर सरकार पूरी तरह विफल रही है. इस सरकार ने लोगों को रोजगार देने का नहीं बल्कि जीने का काम किया है. वहीं, विधायक ने विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष क्या कहता है यह मायने नहीं रखता. क्षेत्र के लिए जो काम किया गया है उसका परिणाम जनता विधानसभा चुनाव में देगी.

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क्या कहता है विपक्ष
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के अनुग्रहित प्रसाद साह का कहना है कि पाकुड़ विधायक ने अपने कार्यकाल में कोई ऐसा महत्वपूर्ण काम नहीं किया है जो उनकी उपलब्धि के रूप में जाना जा सके. साह ने कहा कि विधायक आलमगीर का ध्यान सिर्फ उन क्षेत्रों में रहा है जहां उनका वोट बैंक है और उन्हीं क्षेत्रों में उन्होंने विशेष रुचि दिखाई. बीजेपी नेता का मानना है कि पाकुड़ के आदिवासी क्षेत्र आज भी उपेक्षित हैं. विधायक ने इन क्षेत्रों में काम करना तो दूर वहां जाना भी मुनासिब नहीं समझा. उन्होंने विधायक पर विधायक निधि को जनहित के बजाय कार्यकर्ताओं के हित साधने में ज्यादा इस्तेमाल किया.

चुनाव में बन सकता है यह मुद्दा

  • सालों बाद भी शहरी जलापूर्ति योजना पूरी नहीं होने से शहरी क्षेत्र में पेयजल समस्या बरकरार
  • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अनियमित बिजली की आपूर्ति की समस्या
  • हजारों बीड़ी मजदूरों के लिए बनाया गया, बीड़ी मजदूर अस्पताल बरसों से बंद है
  • अर्बन अस्पताल उद्घाटन के बाद बंद होने से लोगों को परेशानी
  • सदर अस्पताल सहित ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी
  • किसानों के लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था का अभाव
  • रोजगार के लिए मजदूरों का दूसरे राज्यों में पलायन

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