पाकुड़: कोरोना के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए भीड़ वाली जगह जैसे हाट, मेला पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिससे मिट्टी के बर्तन बेचने वाले दुकानदारों की परेशानी बढ़ गई है. उनके सामानों की बिक्री कम हो गई है, जिससे वो आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं और परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया है.
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लॉकडाउन ने बढ़ाई आर्थिक तंगी
मिट्टी के बर्तन बेचने वाले दुकानदार मो. सलीम ने बताया कि लॉकडाउन लगने से पहले वो अपनी पूंजी से मिट्टी के बर्तन पश्चिम बंगाल से खरीद कर लाया था, ताकि वो इनको बेचकर पहले की तरह परिवार पाल सके. लॉकडाउन लगने के बाद वो अपनी मिट्टी के बर्तन को हाट-बाजार नहीं ले जा पाए. सलीम ने बताया कि कभी-कभार गांव के एक दो-लोग मिट्टी के बर्तन लेने आते हैं. उन्होंने बताया कि गांव में रहने वाले लोग भी अपने पैसे बचाकर रख रहे हैं कि ना जाने कब तक ऐसी स्थिति रहेगी.
भूखमरी के कगार पर मिट्टी के बर्तन बेचने वाले दुकानदार एक साल से आर्थिक तंगी से जूझ रहे दुकानदार
मिट्टी के बर्तन बेचने वालों पर आफत यहां के कई लोग पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा और वीरभूम जिला से मिट्टी के बने घड़ा, सुराही के अलावा भोजन बनाने के कई तरह के बर्तन खरीद कर लाते हैं और इन सामानों को जिला में सबसे बड़े हटिया महेशपुर, हिरणपुर, पाकुड़ में बेचकर अच्छी कमाई कर लेते थे. लेकिन कोरोना को देखते हुए शासन-प्रशासन ने लॉकडाउन लगा दिया और हाट-बाजार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने से इन दुकानदारों की स्थिति बीते एक साल से खराब चल रही है.