पाकुड़: झारखंड राज्य अलग बनने के बाद से जिले के नगर परिषद क्षेत्र की लगातार आबादी बढ़ रही है, लेकिन अगर कुछ नहीं बढ़ा है तो, वह नगर परिषद क्षेत्र का दायरा है. नगर परिषद क्षेत्र का दायरा नहीं बढ़ने के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है, साथ ही जिले के शहरी क्षेत्र में अपेक्षाकृत विकास भी नहीं हो पा रहा है. आखिर हो भी तो कैसे ? नगर पंचायत क्षेत्र का क्षेत्रफल 8.5 स्क्वायर किलोमीटर वर्षों से वही है.
शहरी क्षेत्र की आबादी में बढ़ोतरी
शहर में लगातार नए मकान बन रहे हैं. लोगों की आबादी बढ़ रही है, लेकिन उस अनुपात में लोगों को सुविधाएं बहाल नहीं हो पा रही है, क्योंकि नगर परिषद के अधिकारियों ने अब तक अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन नहीं किया है. इसके चलते नगर परिषद क्षेत्र में पूर्ण रूप से अधिसूचित ग्राम पंचायतों का विघटन पुनर्गठन नहीं हो पाया है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, शहरी क्षेत्र की आबादी 45 हजार 840 थी, लेकिन वर्तमान में जनसंख्या बढ़कर 70 हजार हो गयी है. नगर क्षेत्र में पूर्ण रूप से 25 अधिसूचित ग्रामों का चयन कर उसके विघटन के लिए जिला परिषद में अनेकों बार पत्राचार किए गए, लेकिन परिणाम कुछ नहीं निकला.
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राजस्व का भी नुकसान
अगर हाल में होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले नगर क्षेत्र में पूर्ण रुप से चयनित 25 अधिसूचित ग्राम का विघटन नहीं हो पाया तो आने वाले वित्तीय साल में खासकर नगर परिषद को राजस्व का भी नुकसान उठाना पड़ेगा. ऐसा इसलिए कि शहरी क्षेत्र में प्रवेश करने वाले वाहनों का टोल टैक्स वसूलने वाले संवेदक ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी और अध्यक्ष को यह अल्टीमेटम दे दिया है. ताकि, अगर उन्हें पूर्व में संचालित स्थान पर अधिसूचित किए गए ग्रामों में स्थान चयन कर वसूली केंद्र स्थापित करने की कार्रवाई नहीं की गई तो, वे ली गई बंदोबस्ती नहीं चला पाएंगे.