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अगर जनता का आशीर्वाद मिला तो लिट्टीपाड़ा से दूर होगी अशिक्षा: दानियल किस्कू - लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी

लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी दानियल किस्कू ने झामुमो पर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 40 सालों के अंतराल में झामुमो ने कुछ नहीं किया. अगर उन्हें जनता का आशीर्वाद मिला तो वे इस क्षेत्र की तस्वीर बदल देंगे.

BJP candidate from Littipara constituency Daniel Kisku
लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी दानियल किस्कू

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Published : Nov 29, 2019, 4:42 PM IST

Updated : Nov 29, 2019, 7:04 PM IST

पाकुड़: जिले के लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी दानियल किस्कू ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि झामुमो ने इस क्षेत्र के लोगों को सिर्फ बरगलाने का काम किया है, जिसके चलते लिट्टीपाड़ा की तस्वीर नहीं बदल सकी.

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बेरोजगारी की समस्या
भाजपा प्रत्याशी दानियल किस्कू ने कहा कि आजादी के बाद इतने सालों में भी लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में पेयजल की सुविधा बहाल नहीं की गई. अशिक्षा के चलते लोग तरक्की नहीं कर पा रहे हैं और बेरोजगारी की समस्या आज भी जस की तस है. इन सभी मामलों के लिए झमुमो सबसे ज्यादा दोषी है. उन्होंने कहा कि झामुमो ने इस क्षेत्र के लोगों को सिर्फ बरगलाने का काम किया है, जिसके चलते लिट्टीपाड़ा की तस्वीर नहीं बदल सकी.

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महिलाएं आज स्वरोजगारी बनकर जी रही हैं खुशहाल जिंदगी
किस्कू ने कहा कि केंद्र की मोदी और राज्य की रघुवर सरकार ने पेयजल की समस्या के निदान के लिए करोड़ों रुपए की योजना को चालू किया. इस क्षेत्र के लोग खासकर महिलाएं आज स्वरोजगारी बनकर खुशहाल जिंदगी जी रही है. यही वजह है कि इस बार भाजपा यहां से जीत का दावा कर रही. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें जनता का आशीर्वाद मिला तो वे इस क्षेत्र के लिए ऐसा काम करेंगे जो 40 सालों के अंतराल में झामुमो के जनप्रतिनिधि ने नहीं किया है.

प्रतिष्ठा की सीट
बता दें कि चार दशकों से लिट्टीपाड़ा सीट झामुमो का गढ़ रहा है. अनुसूचित जनजाति सुरक्षित इस सीट पर 20 दिसंबर को अंतिम चरण में चुनाव होने है. इसे लेकर भाजपा और झामुमो के नेता प्रतिष्ठा की सीट मानकर चुनावी जंग जीतने की कोशिश में जुटे हुए हैं. लगातार 40 सालों से इस सीट पर झामुमो, साइमन मरांडी और उसके परिवार का राज रहा है. झामुमो जहां अपने घर को बचाए रखने और साइमन मरांडी अपनी जमीन को बचाए रखने की इच्छा से जंग लड़ रहे हैं, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के गोद लिए इस विधानसभा सीट पर फतह किला करने की चुनौती भाजपा को भी है.

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बुनियादी और मूलभूत सुविधाएं
इस बार झामुमो के कद्दावर नेता साइमन मरांडी चुनावी जंग में नहीं है. उन्होंने अपने बेटे दिनेश विलियम मरांडी को चुनाव मैदान में उतारा है. इस विधानसभा क्षेत्र के कई इलाके नक्सल प्रभावित के रूप में चिंहित है. पहाड़ों और जंगलों से घिरा यह आदिवासी आदिम जनजाति बहुल क्षेत्र है. आज भी इस क्षेत्र में पानी, स्वास्थ्य, सड़क और शिक्षा जैसी बुनियादी और मूलभूत सुविधाएं नहीं है. जिले का यही एकमात्र ऐसा सीट है जिस पर सभी दलों की निगाहें टिकी हुई है. पहले हुए चुनाव में भाजपा और झामुमो के बीच मुकाबला होता आया है.

रोमांचक मुकाबला
20 दिसंबर को होने वाले चुनाव में इस बार जदयू, टीएमसी, झाविमो और लोजपा ने भी अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. भाजपा ने झामुमो के इस गढ़ को भेदने के लिए युवा और कर्मठ दानियल किसको को बतौर प्रत्याशी मैदान में उतारा है. इस सीट पर इस बार मुकाबला सीधा नहीं बल्कि रोमांचक होगा.

Last Updated : Nov 29, 2019, 7:04 PM IST

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