पाकुड़: झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद से जिले का बीड़ी अस्पताल बदहाल हो गया है. विभागीय उदासीनता और जनप्रतिनिधियों में इच्छाशक्ति की कमी के कारण हजारों बीड़ी मजदूरों को स्वस्थ रखने के मकसद से बनाया गया बीड़ी अस्पताल बेकार पड़ा हुआ है.अस्पतालों परिसर जंगलों में तब्दील हो गया है.
पाकुड़ में 10 साल पहले लाखों रुपये की लागत से बनाया बीड़ी अस्पताल एक शोभा की वस्तु बनकर रह गया है. अस्पताल में न तो डॉक्टर और न नर्स और न ही दवा. अस्पताल को फिर से बेहतर बनाने को लेकर जिला प्रशासन और श्रम विभाग पलड़ा झाड़ रहे हैं. अस्पताल बदहाल होने के कारण बीड़ी मजदूरों को प्राइवेट क्लीनिक और नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ रहा है. इन मजदूरों के हित के लिए न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि और न ही जिला प्रशासन और सरकार कोई पहल कर रही है. जिले में पत्थर उद्योग के बाद बीड़ी उद्योग ही है जो हजारों मजदूरों को रोजगार दे रहा है. प्रतिदिन 35 से 40 हजार बीड़ी मजदूर अपने-अपने घरों में बीड़ी बना कर कारखानों में बेचते हैं और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.