पाकुड़: झारखंड सरकार मजदूरों की हितों में योजनाएं चला रही है. श्रमिकों को उनका हक मिले, इसको लेकर श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग की ओर से सभी जिलों में E-shram Portal पर रजिस्ट्रेशन के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है. इसके बावजूद जिला के बीड़ी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल पा रहा है.
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न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर धरना-प्रदर्श किया. आंदोलन करते करते ये बीड़ी मजदूर थक गए हैं. लेकिन प्रशासन उन्हें उनका हक दिलाने में अब तक नाकाम हैं. इतना ही नहीं, ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कुछ महीना पहले न्यूनतम मजदूरी को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया. इसके बावजूद कारखाना के मालिक और मैनेजर निर्देश का पालन नहीं कर रहे हैं. वहीं जिले से 10 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल में बीड़ी कारखाना के संचालक अपने मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दे रहे हैं. लेकिन जिले के श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी नहीं मिल रहा है.
प्रशासनिक अनदेखी की वजह से नहीं मिल रहा हक
सदर प्रखंड के चांदपुर, हरीहरा, जानकीनगर, मनीरामपुर, इशाकपुर, राहशपुर, हिरानंदपुर, झिकरहट्टी, भवानीपुर, फरसा समेत कई गांव हैं. जहां हजारों की संख्या में बीड़ी मजदूर हैं. इन बीड़ी मजदूरों का शोषण बीड़ी कारखानों के मालिक के साथ साथ मैनेजर और मुंशी कर रहे हैं. एक हजार बीड़ी में सौ से डेढ़ सौ बीड़ी की मजदूरी डकार ली जाती है. इसका मजदूरी श्रमिकों को नहीं मिलता है.
बीड़ी मजदूर बताते हैं कि वो बीड़ी कंपनी के मालिक, मुंशी और मैनेजर की मनमानी से काफी परेशान हैं. बीड़ी मजदूर संगठन से जुड़े मानिक दुबे कहते हैं कि कंपनी या कंपनी से बाहर बीड़ी बनाने वाले श्रमिकों को कोरोना काल में नहीं मास्क दिया गया और नहीं कोई अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जाती है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम मजदूरी की मांग को लेकर समय-समय पर आंदोलन भी करते हैं. लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है.
विधि सम्मत होगी कार्रवाई
श्रम विभाग के जिला श्रम अधीक्षक रंजीत कुमार ने बताया कि बीड़ी कंपनियों को पहले से नोटिस भेजा गया है. जिससे मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान हो सके. उन्होंने कहा कि कंपनियां श्रम कानून का पालन नहीं करती है तो विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.