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बीड़ी मजदूरों के लिए बना अस्पताल खुद हो चुका है बीमार, बना असामाजिक तत्वों का अड्डा

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Published : Jul 19, 2023, 5:25 PM IST

Updated : Jul 19, 2023, 7:42 PM IST

पाकुड़ के इशाकपुर में 2007 में बीड़ी अस्पताल का निर्माण कराया गया था, ताकि बीड़ी मजदूरों को इलाज के लिए कहीं दूर ना भटकना पड़े. लेकिन अस्पताल चालू होने के कुछ दिनों बाद ही बंद हो गया और फिर कभी चालू नहीं हो सका. अब तो यह असामाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है. अस्पताल के सारे सामानों की चोरी कर ली गई है.

beedi workers hospital of Pakur
beedi workers hospital of Pakur

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पाकुड़:जिले में एक ऐसा भी अस्पताल है जहां लोग दवा नहीं बल्कि अस्पताल में रखे सामानों को ले जाने के लिए पहुंचते हैं. जब यहां ले जाने लायक कुछ नहीं बचा तो इसमें आग लगा दी गयी. हम बात कर रहे हैं सदर प्रखंड के इशाकपुर में बनाये गए बीड़ी मजदूर अस्पताल की.

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पाकुड़ सदर प्रखंड के अलावे महेशपुर, पाकुड़िया सहित कई इलाको में महिला पुरुषों द्वारा बीड़ी बनाने का काम वर्षो से किया जाता है. यहां खासकर महिलाएं बीड़ी बनाकर प्रतिदिन सौ से दो सौ रुपये कमा कर अपना और परिवार का भरण पोषण कर लेती हैं, लेकिन बीड़ी बनाने के दौरान इन महिलाओं सहित इनके परिवार के अन्य सदस्यों पर बीड़ी पत्ता और तंबाकू का बुरा असर पड़ता है. चूंकि पाकुड़ जिले में लगभग 50 हजार बीड़ी मजदूर हैं इसलिए इनका स्वास्थ्य ठीक रहे, इसलिए ग्रामीण इलाके में श्रम विभाग से एक बीड़ी मजदूर अस्पताल बनाया गया. वर्ष 2007 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम (वर्तमान में ग्रामीण विकास मंत्री) आलमगीर आलम द्वारा इस अस्पताल का उद्घाटन किया गया और कुछ दिनों बाद चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का हवाला देकर इसे बंद भी कर दिया गया.

2011 में दोबारा चालू करने की हुई कोशिश:वर्ष 2011 में तत्कालीन उपायुक्त डॉ सुनील कुमार सिंह की पहल पर दोबारा इस अस्पताल को चालू कराया गया और लाखों रुपये खर्च कर एक्सरे मशीन सहित कई उपक्रम लगाए गए और फिर से अस्पताल में चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली की गई. लेकिन फिर से चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का हवाला देकर इस अस्पताल को बंद कर दिया गया और इसे चालू कराने के लिए शासन प्रशासन ने कोई ध्यान भी नहीं दिया.

अस्पताल को बंद देख असामाजिक तत्वों ने इसे अपना अड्डा बना लिया और फिर एक के बाद एक सामान की चोरी होने लगी. चोरों ने इस अस्पताल में रखे सभी सामान चुराने के बाद जेनरेटर, ट्रांसफार्मर को भी नही छोड़ा और जब कुछ नहीं बचा तो दीवार में लगे लोहे के ग्रील, दरवाजा और खिड़की को भी उखाड़ ले गए. लेकिन, प्रशासन इस पर मौन है.

अब तो बीड़ी मजदूर ही नहीं बल्कि मरीज भी बीड़ी अस्पताल की हालत देख शासन प्रशासन को कोस रहे हैं. लोगों का कहना है कि इस अस्पताल के क्रियाशील रहने से सदर प्रखंड के लोगों को यहां इलाज कराने में काफी सुविधा होती थी. लेकिन अब यहां के लोगों को निजी नर्सिंग होम जाना पड़ता है और इसके लिए काफी खर्च भी उठाना पड़ता है.

अस्पताल को लेकर राजनीति भी शुरू: इधर, बीड़ी मजदूर अस्पताल की जर्जर हालात को लेकर भाजपा नेता हिसाबी राय ने कहा कि यह अस्पताल चालू हो इसके लिए केंद्रीय मंत्री सहित विभागीय अधिकारियों को पत्राचार किया गया है और यदि शीघ्र इस अस्पताल को क्रियाशील नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी सड़क पर आंदोलन करेगी. वहीं ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि बीड़ी मजदूर अस्पताल केंद्र सरकार द्वारा संचालित था और बंद हो जाने से हमने कई बार इसे दोबारा चालू हो, इसके लिए प्रयास भी किया. मंत्री ने कहा कि यहां के बीड़ी श्रमिकों को स्वास्थ्य सुविधा ठीक से मिले. इसके लिए केंद्र सरकार को फिर पत्राचार किया जाएगा.

Last Updated : Jul 19, 2023, 7:42 PM IST

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