पाकुड़: बदलाव की बयार और सपना दिखाकर सरकार बनाने वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी की गठबंधन सरकार के कार्यकाल में ग्रामीण ही नहीं बल्कि एक राज्य से दूसरे राज्य और जिलों को जोड़ने वाली प्रमुख सड़कों का भी हाल बेहाल है. ऐसा इसलिए हुआ है कि राज्य में 8 महीने से चल रही सरकार ने कोई कमाल नहीं किया है. लिहाजा वाहन मालिकों, चालकों और राहगीरों को रोज परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ग्रामीण सड़कों की बदहाली की वजह से सरकार की विकास और कल्याणकारी योजनाओं का भी सही तरीके से अनुश्रवण और निगरानी नहीं हो पा रहा है. नतीजतन धरातल पर योजनाओं का क्या हाल है, लाभुकों को इसका कितना लाभ मिला है प्रशासनिक अधिकारी भौतिक रूप से नहीं जान पा रहे हैं. अलबत्ता अधिकारियों को नीचे से आई प्रोग्रेस रिपोर्ट से ही भरोसा करना पड़ रहा है. सड़कों की बदहाली की वजह से ग्रामीण इलाकों के लोगों को सरकार की योजनाओं का शत प्रतिशत लाभ नहीं मिल पा रहा, जैसा कि लोग बताते हैं.
मुख्यमंत्री के बयान से जगी थी विकास की आस
हाल में ही मुख्यमंत्री के इस बयान पर कि अब विकास राज्य में दौड़ेगा पर लोगों में थोड़ी सी आश जरूर जगी है. लेकिन शत प्रतिशत इस दावे पर विश्वास नहीं किया जा रहा है. क्योंकि 8 महीने की हेमंत सोरेन के शासनकाल में बड़ी योजनाएं बंद पड़ी है, कोषागार से काम कराने वाले संवेदक को किए गए काम के बदले भुगतान नहीं हो रहा और ऐसी परिस्थिति में ग्रामीण सड़कों की बदहाली न केवल जनता बल्कि प्रशासन को भी परेशान कर रहा है. प्रशासन को इसलिए परेशानी हो रही है की बदहाल सड़कों को दुरुस्त कराने के लिए लोग फरियाद लगाने पहुंच रहे हैं पर अधिकारी सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं इससे ज्यादा कुछ भी नहीं कर सकते क्योंकि बजटीय प्रावधान और स्वीकृति तो सरकार के स्तर से मिली है. सड़कों की स्थिति में बदलाव नहीं होने को लेकर सबसे ज्यादा वादाखिलाफी और लापरवाही का आरोप जिले के जेएमएम कोटे से दो, कांग्रेस के एक विधायक सहित जेएमएम सांसद पर लगा रहे हैं.
कई इलाकों की सड़कें बेहाल