पाकुड़ : कोरोना वायरस से बचाव रोकथाम एवं उपचार को लेकर जिला प्रशासन हर चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर रहा है. विश्वव्यापी कोरोना महामारी को हराने के लिए न केवल लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लॉकडाउन का अनुपालन किया जा रहा.
सोशल डिस्टेंस को बरकरार रखने की कार्रवाई की जा रही है. जरूरतमंदों को बुनियादी आवश्यकता है जो मुहैया करायी जा रही है बल्कि दूसरे राज्य एवं जिलों से आए मजदूरों एवं लोगों को कोरेंटाइन सेंटर में उचित देखभाल और काउंसलिंग भी की जा रही है.
कोरोना वायरस को लेकर जिन लोगों को कोरेंटाइन सेंटर में रखा गया है उन्हें आने वाले दिनों में किसी तरह की सामाजिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े, इसके भी कार्य योजना जिला प्रशासन के मुखिया कुलदीप चौधरी ने बना ली है.
जिले में पूरी टीम भावना के साथ समन्वय स्थापित करते हुए काम हो रहा है, जिसका नतीजा है कि जिलेवासी लॉकडाउन के दौरान शासन प्रशासन के आदेशों निर्देशों का अनुपालन कर रहे हैं, बल्कि जरूरतमंद के सामानों को सरल और सुलभ तरीके से ही प्राप्त कर रहे हैं.
कोरोना वायरस को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां भी हैं, जैसे यदि कोई मरीज पॉजिटिव पाए गए तो उनका इलाज कैसे होगा, खर्च कौन करेगा, उनके परिवार का क्या होगा और यदि कोरोना वायरस के पॉजिटिव रोगी पाए गए तो यदि उनका सामाजिक बहिष्कार हुआ तो प्रशासन की क्या भूमिका होगी.
इन्हीं बिंदुओं पर डीसी कुलदीप चौधरी ने ईटीवी भारत से बातचीत की. डीसी कुलदीप चौधरी ने कहा कि कोरोना महामारी की स्थिति में एक ओर लोगों को जानकारी दी जा रही है कि वह सही तथ्यात्मक जानकारियों को समझें और किसी प्रकार के भ्रामक तथ्यों से अपने आप को भ्रमित करके कोई कदम न उठाएं.
किसी परिवार या व्यक्ति विशेष को सामाजिक रूप से बहिष्कार न करें. डीसी ने कहा कि जिले में सभी ग्रामस्तर पर समिति बनायी गयी है.
उस ग्राम समिति में वहां के सेविका, सहायिका, पारा शिक्षक, वार्ड सदस्य को शामिल किया गया है, जो भी बाहर से आए हैं उनकी सूचना अपनी पंचायत स्तरीय समिति, ब्लॉक समिति या जिला में बनाए गए कोषांग में जानकारी दी जाए और सूचना मिलते ही प्रखंड स्तरीय टीम द्वारा प्रारंभिक जांच की जाती है.
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लक्षण पाए जाने की स्थिति होने पर बनाए गए कोरेंटाइन सेंटर में उसे रखने का काम किया जाता है और जांच के दौरान आवश्यकता पड़ने पर ब्लड सैम्पल भी लिया जाता है.