पाकुड़: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर इन दिनों अवैध माइनिंग के खिलाफ चारों ओर प्रशासन की मगजमारी जारी है. वहीं अवैध पत्थर उत्खनन ही नहीं बल्कि इसके परिवहन मामले में पश्चिम बंगाल के पत्थर माफिया प्रशासन पर भारी हैं. इसका खुलासा खनन विभाग से जुड़े अधिकारियों ने ही किया है. मामले में प्रशासन ने कई नामजद अभियुक्त के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और पश्चिम बंगाल के माफियाओं की गिरफ्तारी में जुटी है.
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माफियाओं को पाकुड़ में किसका संरक्षण: दरअसल, पाकुड़ जिले से फर्जी माइनिंग चालान के जरिए निकटवर्ती पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में पत्थरों का परिवहन लगातार जारी है. लेकिन यहां सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिर फर्जी माइनिंग चालान के जरिए, वह भी चेकपोस्ट से गुजरते हुए पश्चिम बंगाल के पत्थर माफिया ट्रक और हाईवा से किसके संरक्षण और इशारे पर पत्थरों की ढुलाई किया करते थे. सूत्रों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल के कई पत्थर माफियाओं का सीधा संपर्क पाकुड़ और निकटवर्ती साहिबगंज के पत्थर कारोबार से जुड़े लोगों और सफेदपोशों के साथ है. जिसकी वजह से ही यह अवैध कारोबार वर्षों से चल रहा था.
माफियाओं की गिरफ्तारी को लेकर कार्रवाई: मामला संज्ञान में आने के बाद जिला खनन पदाधिकारी प्रदीप कुमार शाह की लिखित शिकायत पर मुफस्सिल थाना में फर्जी माइनिंग चालान के जरिए पत्थरों की ढुलाई करने वाले वाहन संख्या WB57 D4378, WB59 D6958, NL01 AC6814, 8245 के मालिक सुजेन चंद्र साहा, कृष्णकांत घोष, चंदन किस्कू और वसीम अकरम के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. मामले में मुफस्सिल थाना की पुलिस ने साहिबगंज जिला के बाकुडी के पत्थर लेसी मेसर्स राहुल मेटल्स के प्रोपराइटर गोपी साधवानी को भी नामजद अभियुक्त बनाया है. प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद पुलिस इस अवैध कारोबार में संलिप्त पश्चिम बंगाल के निवासी सभी वाहन मालिकों की गिरफ्तारी को लेकर कार्रवाई कर रही है.
सही जांच से सामने आ सकते हैं कई चेहरे: जानकारी के मुताबिक अगर 6 महीने वैसे फर्जी माइनिंग चालान जिसके जरिए पत्थरों का परिवहन किया गया है, कि सही तरीके से जांच की जाए तो सरकार को राजस्व का चूना लगाने वाले कई माफियाओं के चेहरे सामने आएंगे. हालांकि एक भी पश्चिम बंगाल का पत्थर माफिया जिनके वाहनों से पत्थरों के फर्जी चालान से ढुलाई हो रही थी पुलिस गिरफ्त में नहीं आ पाए हैं.