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समूहों से जुड़ी ग्रामीण महिलाए होंगी आर्थिक रूप से मजबूत, मेगा ऋण शिविर में दिया गया 4.39 करोड़ - झारखंड ग्रामीण बैंक

पाकुड़ में झारखंड ग्रामीण बैंक ने गुरुवार को मेगा ऋण शिविर लगाया. जिसमें 335 स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हजारों महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए न केवल 16 करोड़ 75 लाख ऋण राशि की स्वीकृति दी बल्कि 4 करोड़ 39 लाख रुपए उनके बैंक खातों में हस्तांतरित भी किया. इस दौरान झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन सुनील विनायक जोड़े भी मौजूद थे.

4.39 crores given to rural women at mega loan camp in Pakur
चेक देते अधिकारी

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Published : Feb 27, 2020, 8:46 PM IST

पाकुड़: जिले में 335 स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हजारों महिलाओं के बीच गुरुवार का दिन खुशियों भरा रहा. झारखंड ग्रामीण बैंक ने मेगा ऋण शिविर लगाकर इन समूहों से जुड़ी महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए न केवल 16 करोड़ 75 लाख ऋण राशि की स्वीकृति दी बल्कि 4 करोड़ 39 लाख रुपए उनके बैंक खातों में हस्तांतरित भी किया. झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमैन सुनील विनायक जोड़े ने समूह से जुड़ी महिलाओं के बीच सांकेतिक रूप से राशि का चेक वितरण किया.

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महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना बैंक का उद्देश्यजिला मुख्यालय के वीर कुंवर सिंह नगर भवन में झारखंड ग्रामीण बैंक ने मेगा ऋण शिविर का आयोजन किया. शिविर का उद्घाटन बैंक के चेयरमैन सुनील विनायक जोड़े, आंचलिक प्रबंधक सुनील कुमार ठाकुर, डीआरडीए निदेशक राधेश्याम ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर किया. आयोजित शिविर में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी आधा दर्जन महिलाओं ने समूह से जुड़ने के बाद उन में आए बदलाव और आर्थिक सशक्तिकरण की कहानी साझा की.

शिविर को संबोधित करते हुए झारखंड ग्रामीण बैंक के चेयरमेन जोड़े ने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ना ही शिविर का मुख्य मकसद है. चेयरमेन ने कहा कि बैंक का मानना है कि यदि परिवार की एक महिला आर्थिक रूप से सशक्त होगी तो उनका परिवार भी सशक्त होगा. उन्होंने मौजूद महिलाओं से अपने कार्यों को बच्चों को भी बताने की अपील की ताकि आने वाले समय में इनके कामों को हुए आगे बढ़ा कर गर्व महसूस करें.

दीप जलाकर किया उद्घाटन

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उत्पादित सामानों की करें ब्रांडिंग
वहीं, डीआरडीए निदेशक राधेश्याम ने समूह से जुड़ी महिलाओं को ब्रांडिंग पर जोर देने की अपील की. उन्होंने कहा कि जिले की महिलाओं में क्षमता की कमी नहीं है पर जरूरत है अपने-अपने उत्पादन का ब्रांडिंग करने की ताकि लोग उनके उत्पादित सामानों को वृहद पैमाने पर खरीदे.

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