लोहरदगा: निसंदेह, सहजता, लक्ष्य और कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश लिए हर एक दिन भिन्न-भिन्न भूमिकाएं जीते हुए महिलाएं किसी भी समाज का स्तंभ बन रही हैं. हमारे आसपास महिलाएं, बेटियां, संवेदनशील माताएं, सक्षम सहयोगी और अन्य भूमिकाओं को बड़ी ही कुशलता के साथ निभा रही हैं. हालांकि पेशेवर और व्यक्तिगत ऊंचाइयों को प्राप्त करने में महिलाओं को आज भी काफी ज्यादा परेशानी आती है. इसके पीछे वजह है कि महिलाओं को वह मौका नहीं दिया जाता कि वह अपने आप को साबित कर सकें, लेकिन आज लोहरदगा जैसे छोटे से जिले में कानून से दो-दो हाथ करती हुई महिलाओं को देखकर कोई भी कह उठता है कि महिला सशक्तिकरण का इससे बेहतर उदाहरण कोई हो ही नहीं सकता.
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हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ कोर्ट में करती हैं बहस
व्यवहार न्यायालय लोहरदगा में यूं तो अधिवक्ताओं की कमी नहीं है लेकिन बात जब किसी महिला के केस को लेकर कोर्ट में बहस करने, उसकी पैरवी करने की आ जाती है तो सबसे पहले लोग किसी महिला अधिवक्ता को ही चुनना पसंद करते हैं. लोहरदगा जिले में महिला अधिवक्ताओं की संख्या बहुत अधिक नहीं है. करीब 5 से 6 के करीब महिला अधिवक्ता यहां पर अपने क्लाइंट का पक्ष रखती हैं. शलाका श्रीवास्तव, सुरीला देवी, नफीसा रहमान जैसी महिला अधिवक्ताएं जब अपने पक्ष को न्याय दिलाने को लेकर कोर्ट में बहस करती हैं, तो जरा भी यह एहसास नहीं होता कि उनकी पैरवी करने वाला व्यक्ति कौन है. वही आत्मविश्वास, कानून की वही जानकारी और अपने पक्ष को न्याय दिलाने की ललक उनमें नजर आती है.
लगातार बढ़ रही है महिला अधिवक्ताओं की संख्या