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लोहरदगाः पपीता की खेती ने दिखाई समृद्धि की राह, मालामाल हो रही महिलाएं - पपीता की खेती से किसान खुश

लोहरदगा जिले में महिलाएं सशक्त होती नजर आ रही है. आज परंपरागत खेती से अलग हटकर महिलाएं पपीता की खेती कर रही हैं, जो महिलाओं के लिए एटीएम से कम नहीं है. गांव की 5 एकड़ की जमीन में पपीता की खेती की जा रही है, जिससे वो अपना घर चला रही हैं.

papaya farming in lohardaga
पपीता की खेती

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Published : Dec 18, 2019, 3:21 PM IST

Updated : Dec 18, 2019, 3:40 PM IST

लोहरदगाः जिले के भंडरा प्रखंड के उदरंगी गांव में पपीते की खेती में समृद्धि की राह दिखाई है. जिससे किसान मालामाल हो रहे हैं. विशेषकर ग्रामीण महिलाएं आज पपीता की खेती कर न सिर्फ आर्थिक रूप से समृद्ध हो रही हैं, बल्कि उन्हें खेती का सही अर्थ भी अब समझ में आ गया है. यहां की महिलाओं और किसानों ने परंपरागत कृषि से अलग एक ऐसा रास्ता चुना जो उनके लिए किसी एटीएम से कम नहीं है. पपीते को बाजार में ले जाएं तभी बिक्री हो जाती है. हाथ में नगदी आ गई तो जरूरतें भी पूरी हो जाती है.

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महिलाओं को दिए गए थे निशुल्क पौधे
जेटीडीएस संस्था के सहयोग से 2 साल पहले यहां के किसानों को पपीते के पौधे उपलब्ध कराये गये थे. निशुल्क रूप से मिले इस पौधे को किसानों ने अपने घर के आस-पास बेकार पड़ी जमीन में लगा दिया. 2 साल के भीतर ही पपीते के पौधे तैयार हो गए. या कहें कि पिछले 6 महीने से फल भी देने लगे हैं. ग्रामीणों को इसकी कीमत तब समझ में आई जब पपीता को लेकर बाजार बिक्री के लिए पहुंचे तो वहां हाथों-हाथ पपीतों की बिक्री हो गई.

किसानों को मिल रही मोटी रकम
व्यापारियों को पता चला कि भंडरा प्रखंड के उदरंगी गांव में 5 एकड़ क्षेत्र में पपीते की खेती की गई है तो व्यापारी गांव ही सीधे पहुंचने लगे. थोक में पपीता को खरीदकर ले जाते हैं. जिससे मोटी रकम किसानों को मिलती है. जिससे ग्रामीण महिलाएं काफी खुश हैं कि अब उन्हें खेत में न तो कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और न ही अपने उत्पादों को बेचने के लिए पसीना बहाना पड़ता है, लेकिन बिक्री हो जाती है और तुरंत ही फायदा भी नजर आ जाता है.

1 एकड़ जमीन में हो रही पपीता की खेती
बता दें कि इस गांव में दर्जनभर महिलाओं ने पपीते की खेती की है. किसी ने 25 डिसमील तो किसी ने 1 एकड़ तक में पपीता लगाया है. शुरुआती समय में पपीते को देखने की जरूरत पड़ी, लेकिन जब पपीते के पौधे बड़े हो गए और फल देने लगे तब इन्हें देखभाल की भी जरूरत नहीं पड़ती है. बहुत अधिक गर्मी में पटवन की थोड़ी जरूरत होती है. उसके बाद सालों भर पपीता तोड़ते रहिए और बाजार में बेचते रहिए.

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खेती से विकास की राह पर महिलाएं
ग्रामीण महिलाएं आज पपीता की खेती कर काफी खुश हैं. उन्हें लगता है कि धान, गेहूं जैसी परंपरागत फसल से अलग पपीता की खेती निश्चित रूप से फायदे की खेती है. मेहनत भी कम पूंजी भी कम और मुनाफा ही मुनाफा. आज इन महिलाओं की प्रगति को देखकर आसपास के गांव में भी परंपरागत खेती से अलग दूसरी खेती की ओर किसानों का झुकाव हो रहा है. पपीता की खेती निश्चित रूप से फायदे की खेती है. यहां से पैदा होने वाला पपीता न सिर्फ काफी स्वादिष्ट है, बल्कि यह हाई क्वालिटी का भी है. जिससे आसानी से इसकी बिक्री हो जाती है. आज पपीता की खेती से होने वाले मुनाफे से यहां की ग्रामीण महिलाएं एक अच्छी जिंदगी की ओर कदम बढ़ा चुकी हैं.

Last Updated : Dec 18, 2019, 3:40 PM IST

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