लोहरदगा: जिला की प्राकृतिक और कृत्रिम जल स्रोत नहर, तालाब और नदियां कभी लोगों की प्यास बुझाती थी. इनका पानी इतना स्वच्छ था कि लोग बिना किसी फिल्ट्रेशन के सीधे तौर पर पीने के लिए इसका पानी उपयोग में लाते थे. शहर के अलावे गांव तक लोगों को इसका लाभ मिलता था. आज नहर, तालाब, जल स्रोत की सफाई नहीं हो पाने की वजह से इनका पानी उपयोग लायक नहीं रह गया है. गंदगी भर जाने की वजह से पानी का बहाव कम हो चुका है.
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नंदिनी नहर का हाल हुआ बेहाल
जिला के भंडरा और कैरो के सीमावर्ती नंदिनी नहर की बदहाल हालत लोगों को परेशान करती है. लगभग 22 किलोमीटर लंबी इस नहर का पानी दो दशक पहले तक लोग सीधे तौर पर घरेलू उपयोग में लाते थे. सिंचाई के साथ-साथ पीने के पानी के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता था. आज नहर की हालत बेहद खराब है, नहर में गंदगी भरी पड़ी है, मिट्टी जम गया है. इस नहर में कचरा डालने की वजह से इसका पानी उपयोग के लायक नहीं रहा है. पानी में कीड़ा लग चुका है, लोग सिंचाई के लिए भी इसका पानी उपयोग करना नहीं चाहते हैं. सैकड़ों एकड़ क्षेत्र में फैले नंदिनी डैम से होकर निकलने वाली नहर को ना सिर्फ भंडरा बल्कि कुड़ू तक के लोगों को काफी ज्यादा फायदा मिलता था.
बदहाल विक्टोरिया टैंक और ठकुराइन तालाब
शहरी क्षेत्र के विक्टोरिया टैंक और ठकुराइन तालाब की भी स्थिति बेहद खराब है. अंग्रेजी हुकूमत के दौरान कैदियों को सजा के तौर पर विक्टोरिया टैंक का निर्माण शहरी क्षेत्र में कराया गया था. इसका पानी इतना स्वच्छ था कि लोग घरेलू उपयोग में इसका पानी सीधे तौर पर उपयोग में लाते थे. कहा जाता है कि महिलाएं दाल गलाने के लिए इसके पानी का उपयोग करती थी. इसी प्रकार की स्थिति ठकुराइन तालाब की भी है. यहां का पानी भी मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता था. यहां पर रहने वाले आसपास के लोग इसका पानी घरेलू उपयोग के लिए करते थे. आज इसकी बदहाल स्थिति स्थानीय लोगों को पानी की समस्या से रूबरू करा रही है. दोनों की स्थिति बेहद खराब है. स्थानीय लोगों की ओर से गंदगी डाले जाने की वजह से इसका उपयोग सही तरीके से नहीं हो पाता है.
नहर और विक्टोरिया टैंक की हालत से लोग परेशान