लोहरदगा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण का उद्देश्य खुले में शौच से गांव और शहर को मुक्त बनाना. कागजों में शौचालय बने, कहीं पर दीवारों में शौचालय के निशान दिखाई देते हैं, पर हकीकत उससे बिल्कुल अलग है. खस्ताहाल, टूटे-फूटे और जर्जर अवस्था में शौचालय अपनी हकीकत को बयां करते हैं. ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं. कहीं पर शौचालय में दरवाजा नहीं है तो कहीं पर सोक-पीट भी बनाया नहीं गया है. हालात इतने बदतर है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच मुक्त लोहरदगा जिला की परिकल्पना ही समझ से परे है. जिला के सेन्हा प्रखंड के भड़गांव में स्वच्छ भारत मिशन की तस्वीर पोल खोलती हुई नजर आती है.
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लोहरदगा जिला में बनाए गए हैं 67599 शौचालय
स्वच्छ भारत मिशन के तहत लोहरदगा जिला को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिया गया है. इसके लिए लोहरदगा में 67599 शौचालय का निर्माण जिला के अलग-अलग सात प्रखंड और 353 गांव में किया गया है. साल 2021 से पहले 59573 शौचालय का निर्माण कराया गया था. इसके बाद और 8026 शौचालय का निर्माण कराया गया. जबकि लगभग 5000 शौचालय और अभी भी बनाए जाने हैं.
भड़गांव में बने हैं 250 शौचालय
जिला के सेन्हा प्रखंड के भड़गांव में ढाई सौ शौचालय का निर्माण कराया गया है. शौचालय की हकीकत यह बताती है कि वहां पर खुले में शौच की स्थिति क्या है. ग्रामीण खुद ही कहते हैं कि वह खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं. शौचालय की जो टंकी बनाई गई थी, वह कब की बेकार हो चुकी है. शौचालय में दरवाजा नहीं है, कहीं पर पैन तक नहीं बैठाया गया है. यही नहीं शौचालय का छत भी गायब है, कहीं झाड़ियां और पेड़ उग आए हैं.
तस्वीर यह बताने के लिए काफी है कि शौचालय की वर्तमान स्थिति क्या है. ऐसी तस्वीर में क्या लोहरदगा को स्वच्छ भारत मिशन के तहत खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा सकता है. सरकार को आखिर किस बात की हड़बड़ी थी कि शौचालय के उपयोग सुनिश्चित होने से पहले ही खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया. ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं. महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. इन सबसे परे सरकार सिर्फ आंकड़ों को सुधारने में जुटी हुई है.