लोहरदगाः साल 2015 का विधानसभा उपचुनाव विधायक सुखदेव भगत के लिए एक प्रकार से यू-टर्न लेने वाला चुनाव रहा था. इससे पहले दो बार आजसू के कमल किशोर भगत से चुनाव हारने के बाद विधायक सुखदेव भगत का राजनीतिक कैरियर खत्म हो चुका था, लेकिन मारपीट के एक मामले में कमल किशोर भगत को 7 साल की सजा सुनाए जाने के बाद उपचुनाव में सुखदेव भगत जीते और लोहरदगा सीट से विधायक बने.
विधायक से बातचीत करते संवाददाता उपचुनाव में जीते सुखदेव भगत
जानकारी के अनुसार रांची के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर केके सिन्हा पर हमला, मारपीट, रंगदारी मांगने के मामले में जून 2015 में कमल किशोर भगत को 7 साल की सजा सुनाई गई थी. जिसके बाद लोहरदगा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. जिसमें कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत को हराकर सुखदेव भगत ने वापस लोहरदगा सीट अपने नाम कर ली. यह सुखदेव भगत के लिए बड़ी जीत थी. जनता ने फिर एक बार सुखदेव भगत पर विश्वास जताया.
पेयजल क्षेत्र में किया बेहतर काम
विधायक चुने जाने के बाद लोहरदगा में सुखदेव भगत के समक्ष कई बड़ी समस्याएं और मुद्दे चुनौती के रूप में खड़े थे. जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, बाईपास सड़क, कृषि का विकास सहित अन्य मुद्दों ने विधायक के लिए चुनौती देने का काम किया. विधायक सुखदेव भगत के कार्यकाल में स्वास्थ्य, बाईपास सड़क, कृषि, रोजगार और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय काम तो नहीं हो सका, लेकिन सामुदायिक विकास ग्रामीण सड़क पेयजल क्षेत्र में बेहतर काम हुए हैं.
जनता बीच जाकर बनाई पहचान
जनता के बीच पहुंचकर सुखदेव भगत ने अपनी एक पहचान बनाने की कोशिश की. काफी हद तक उन्हें इसमें कामयाबी भी मिली. दो चुनाव में मिली हार के बाद जो विश्वास भी जनता से खो चुके थे उस विश्वास को वापस पाने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की. वहीं, विधायक सुखदेव भगत भी स्वीकार करते हैं कि उन्होंने काफी प्रयास किया, लेकिन कुछ योजनाओं को अंजाम तक नहीं पहुंचा सके.
राज्य और केंद्र सराकर से नहीं मिला साथ
विधायक का कहना है कि उन्होंने अपने प्रयास से कई योजनाओं को गति देने की कोशिश की, लेकिन सरकार के स्तर से पूरा साथ नहीं मिल पाने की वजह से योजनाएं अधर में रह गई. उन्होंने कहा कि योजनाओं को प्रारंभिक गति तो मिल गई है. आने वाले समय में उन्हें अंजाम भी मिल जाएगा. कुल मिलाकर लोहरदगा में स्वास्थ्य के क्षेत्र में रेफरल की स्थिति है. मरीज आज सिर्फ रेफर होकर रांची जाने के लिए विवश है. उच्च शिक्षा के नाम पर यहां कई कमियां हैं. इन कमियों को दूर करने को लेकर भी विधायक की ओर से किए गए प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं.
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कुल मिलाकर विधायक सुखदेव भगत का साफ कहना है कि उन्होंने अपने क्षेत्र के लिए कई काम किए है तो फिलहाल कई काम बाकी भी रह गए. जन आकांक्षाओं को पूरा करने को लेकर उनकी ओर से प्रयास में कोई कमी नहीं रही. परिस्थितियों ने उनके हाथ बांधने के काम किए.