रांची/हैदराबाद: झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक है लोहरदगा सीट, जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट रांची, गुमला और लोहरदगा जिले में फैली हुई है. यह पूरा इलाका 'रेड कॉरिडोर' का हिस्सा है. यहां मुकाबला हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी के बीच रहा है. पिछले दो बार से बीजेपी के सुदर्शन भगत जीत रहे हैं.
अपने समृद्ध खनिज भंडार जैसे बॉक्साइट और लेटेराइट के कारण यह इलाका प्रसिद्ध है. बावजूद इसके इलाके की गिनती आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्र के रूप में होती है. इस संसदीय सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं. जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं.
लोहरदगा के अब तक के सांसद
1962 में इस सीट पर कांग्रेस के डेविड मुंजिन जीते थे. इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर कार्तिक उरांव 1967 और 1971 में जीते. 1977 के चुनाव में कार्तिक उरांव की करारी हार हुई. उन्हें जनता पार्टी के लालू उरांव ने पटखनी दे दी. 1980 में कार्तिक उरांव ने फिर से सीट पर कब्जा जमाया. 1984 और 1989 में कांग्रेस के ही टिकट पर सुमति उरांव जीतीं. फिर 1991 में इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला और उसके प्रत्याशी ललित उरांव जीते. 1996 में भी ललित ने भगवा पताका फहराया. 1998 में कांग्रेस के इंद्रनाथ भगत जीतने में कामयाब हुए. 1999 में बीजेपी के दुखा भगत यहां से जीते. 2004 में कांग्रेस के रामेश्वर उरांव जीते. फिर 2009 और 2014 के चुनाव में बीजेपी के सुदर्शन भगत ने बाजी मारी.