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मनरेगा से मिल रहा लोगों को रोजगार, महानगरों की ओर नहीं कर रहे रुख - लोहरदगा में मजदूरों के मिला काम

लोहरदगा में मनरेगा योजना के तहत मजदूरों को रोजगार का अवसर प्राप्त हुआ है. मजदूरों को उनके गांव, उनके घर में रोजगार मिला है. जिससे मजदूरों में खुशी है कि अब रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा.

people get employment from MNREGA in lohardaga
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Published : Nov 25, 2020, 5:32 PM IST

लोहरदगा: मनरेगा योजना के क्रियान्वयन का उद्देश्य मजदूरों को विकास योजनाओं के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना था. कोविड-19 की वजह से जब मजदूर घर वापस लौटे तो सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या उनके लिए रोजगार उपलब्ध कराने की रही. ऐसे समय में मनरेगा योजना ने सरकार को राहत दी. मजदूरों को उनके गांव, उनके घर में रोजगार मिला. अब स्थानीय तौर पर रोजगार प्राप्त होने से मजदूर पलायन नहीं कर रहे हैं. काम और समय पर पैसा मिलने से मजदूरों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है.

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लंबित मजदूरी भुगतान का नहीं है मामला
मनरेगा योजना में काम करने वाले मजदूरों के लिए अच्छी बात यह रही कि लंबित मजदूरी भुगतान का कोई मामला लोहरदगा जिले में फिलहाल लंबित नहीं है. मनरेगा से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि लोहरदगा जिले में समय पर मजदूरों को मनरेगा योजना के तहत रोजगार और मजदूरी का भुगतान मिल पा रहा है. ज्यादातर योजनाओं में एक से लेकर 8 दिनों के अंदर मजदूरी का भुगतान कर दिया गया है. जिले में 1,76,839 मजदूरों को मजदूरी का भुगतान महज एक से लेकर 8 दिनों के भीतर किया गया. लंबित मजदूरी भुगतान को लेकर किसी प्रकार की शिकायत विभाग को प्राप्त नहीं हुई है. साल 2019 में 336 ऐसे मजदूर थे, जिन्हें 9 दिनों से लेकर 15 दिनों के बीच मजदूरी का भुगतान किया गया था लेकिन इस साल इस गलती को विभाग ने सुधारने का काम किया है.
समय से मिल रही है मजदूरी, गांव घर में मिल रहा है काम
मनरेगा के तहत चालू वित्तीय साल में मजदूरों को ना सिर्फ काम मिला है, बल्कि उन्हें समय पर मजदूरी भी मिल पा रही है. यही कारण है कि बड़ी संख्या में मजदूर अब मनरेगा योजनाओं में रुचि दिखा रहे हैं. मनरेगा से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि लोहरदगा जिले में 9,558 ऐसे मजदूर परिवार रहे, जिन्होंने मनरेगा में 1 से लेकर 14 दिनों तक काम किया है. जबकि 7,414 ऐसे परिवारों की संख्या रही, जिन्होंने 15 दिन से लेकर 30 दिन तक मनरेगा में काम किया है. इसके अलावा 2,555 ऐसे मजदूर परिवार रहे, जिन्होंने 31 से लेकर 40 दिन तक मनरेगा योजना में काम कर अपने लिए रोजगार का जुगाड़ किया. इसके अलावा 2,553 ऐसे परिवारों की संख्या रही, जिन्होंने 41 से लेकर 50 दिन तक मनरेगा योजना में काम करते हुए अपने परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने का काम किया. महत्वपूर्ण बात यह भी है कि 1,827 ऐसे मनरेगा मजदूर परिवारों की संख्या रही जिन्होंने 51 से लेकर 60 दिनों तक मनरेगा योजना के माध्यम से रोजगार सृजन का काम किया. जबकि 1,176 मनरेगा मजदूर परिवारों ने 61 से लेकर 70 दिनों तक मनरेगा योजनाओं में काम करने का काम किया.
मनरेगा से मिले आंकड़े

वहीं, जिले में 1,118 ऐसे परिवार रहे. जिन्होंने 71 से लेकर 80 दिनों तक मनरेगा योजना में काम किया है. लोहरदगा जिले के अलग-अलग प्रखंडों में 2,457 ऐसे परिवारों की संख्या रही है. जिन्होंने 81 से लेकर 99 दिनों तक योजना में रोजगार पाने का काम किया. सरकार की योजनाओं के तहत 471 ऐसे मनरेगा मजदूर परिवार भी शामिल हैं, जिन्होंने 100 दिनों का रोजगार मनरेगा से प्राप्त किया है.

मनरेगा से चल रही है कई योजनाएं
मनरेगा से कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इनमें डोभा निर्माण, रिचार्ज पिट निर्माण, फ्लैंक निर्माण, कच्ची नाली निर्माण सहित कई योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है. इन योजनाओं में ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए पलायन को रोकने का प्रयास किया जा रहा है. विभागीय प्रयास से मजदूरों को उनके घर के आस-पास ही रोजगार उपलब्ध हो जा रहा है.

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मनरेगा से लोगों को मिला रोजगार
मनरेगा ने गरीब मजदूर परिवारों को रोजगार देने का काम किया है, जो लोग दो वक्त की रोटी के जुगाड़ के लिए पलायन करने को विवश रहते थे, आज उन्हें अपने गांव, अपने घर में काम मिल रहा है. महत्वपूर्ण बात यह है कि मनरेगा में मजदूरों को रोजगार देने के साथ-साथ समय पर मजदूरी भुगतान को लेकर भी राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की भूमिका सराहनीय रही है. समय पर मजदूरी मिलने से मजदूर काम करने में रुचि दिखा रहे हैं. छोटी-छोटी योजनाओं के माध्यम से मजदूरों को उनके गांव उनके घर में रोजगार मिल पा रहा है. पलायन करने वाले मजदूर आज अपने गांव में मजदूरी कर परिवार के साथ समय बिता रहे हैं.

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