लोहरदगा: जिले में 55 हजार 70 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. इसमें सिर्फ 7 हजार 752 हेक्टेयर ही जमीन सिंचित भूमि है. शेष भूमि पर खेती को लेकर किसानों को बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है. इस साल लोहरदगा में मानसून की बारिश कम हुई है. स्थिति यह है कि झारखंड में मानसून की बारिश हो रही है लेकिन लोहरदगा के खेत सूखे पड़े हैं. इससे धान की खेती करने वाले किसान ज्यादा परेशान हैं. किसानों को लगता है कि बेहतर बारिश नहीं हुई तो धान की खेती करना मुश्किल हो जाएगी.
लोहरदगा से रूठा हुआ है मानसून, धान की खेती पर पड़ेगा असर - धान की खेती
लोहरदगा में मानसून की बारिश कम हुई है. इससे किसानों को धान की खेती करना मुश्किल हो गया है. स्थिति यह है कि बिचड़ा तैयार है, लेकिन पानी के अभाव में रोपनी नहीं हो रही है.
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मौसम विभाग का कहना है कि जून माह में औसत से कम बारिश हुई है. वहीं, जुलाई माह की शुरुआती दिनों में भी मानसून रुठा हुआ है. मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक जून माह में सामान्य बारिश 137.3 एमएम दर्ज की जाती है. लेकिन इस साल जून माह में मात्र 128.8 एमएम बारिश हुई है. अब जुलाई के महीने की बात करें तो जुलाई के महीने में सामान्य बारिश 305 एमएम दर्ज की जाती है. लेकिन पिछले तीन दिनों में 13.9 एमएम बारिश दर्ज की गई है. जिला प्रशासन ने इस साल 47 हजार हेक्टेयर में धान की खेती को लेकर लक्ष्य निर्धारित किया है.
धान की खेती पूरी तरह बारिश पर निर्भर करती है. सिंचाई के साधन उपलब्ध नहीं हैं. इस स्थिति में किसानों की चिंता बढ़ गई है. कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई तो धान की खेती करना मुश्किल हो जायेगा. किसानों ने बताया कि खेती के लिए पानी जरूरी है. बिना पानी के खरीफ की खेती हो ही नहीं सकती. उन्होंने कहा कि बिचड़ा तैयार है. लेकिन बारिश के अभाव में रोपनी नहीं हो रहा है. इससे बिचड़ा खराब हो रहा है.