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Lohardaga news: करोड़ों के पुल निर्माण कार्य को नक्सलियों ने कराया बंद, दो वाहनों को किया आग के हवाले

लोहरदगा में माओवादियों ने पुल निर्माण योजना में लगे हुए दो वाहनों को फूंक डाला. इस घटना के पीछे भाकपा माओवादी नक्सली संगठन का हाथ बताया जा रहा है.

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Published : Mar 27, 2023, 4:25 PM IST

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लोहरदगा:लोहरदगा में लंबे समय के बाद भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने फिर एक बार उत्पात मचाया है. नक्सलियों ने दो वाहनों को फूंक डाला और करोड़ों रुपये की लागत से चल रहे पुल निर्माण कार्य को रोक दिया है. सूचना मिलने के बाद पुलिस हरकत में आ गई है. नक्सलियों की धरपकड़ को लेकर छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है. भाकपा माओवादी नक्सली संगठन द्वारा घटना को अंजाम दिए जाने की बात कही जा रही है.

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घटना लोहरदगा और गुमला जिले के सीमावर्ती अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र सेरेंगदाग में पुंदाग और पेशरार थाना क्षेत्र में हुसरू का है. भाकपा माओवादी रविंद्र गंझू के दस्ता ने पुल निर्माण योजना में लगे हुए दो ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया. इसके अलावे योजना कार्य को भी बंद करा दिया है. नक्सलियों के दस्ता ने एक अन्य पुल निर्माण योजनास्थल पर भी पहुंचकर धमकाते हुए निर्माण कार्य बंद करा दिया है.

घटना को लेकर लोहरदगा एसपी आर रामकुमार ने पुष्टि की है. एसपी ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है. पुलिस और सुरक्षाबलों को कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया है. सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से पुलिस की अलग-अलग टीम नक्सलियों को घेरने में जुटी हुई है. कहा जा रहा है कि 10 से 12 की संख्या में नक्सलियों का दस्ता योजना स्थल पर पहुंचा था. नक्सलियों ने काम बंद करने की चेतावनी दी. इसके बाद दो ट्रैक्टरों में आग लगा दी.

भाकपा माओवादी नक्सली संगठन में कुल 6 नक्सली:बता दें कि लोहरदगा जिले में भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के नाम पर रीजनल कमांडर और 15 लाख का इनामी रविंद्र गंझू और जोनल कमांडर और 10 लाख रुपये का इनामी लाजिम अंसारी का दस्ता ही बचा हुआ है. कुल मिलाकर दोनों के दस्ते में कुल 6 नक्सली हैं. नक्सलियों का दस्ता पहाड़ी इलाकों में घूमने के दौरान स्थानीय ग्रामीणों को साथ लेकर घूमता है, जिससे कि पुलिस तक यह संदेश पहुंचे कि माओवादियों का दस्ता काफी बड़ा है.

हालांकि खुफिया विभाग को भी यह जानकारी है कि माओवादियों के दस्ता में कुल 6 सदस्य ही बचे हुए हैं. जिसमें से मात्र 2 बड़े हथियार उनके पास हैं. सुरक्षाबलों द्वारा लगातार माओवादियों को घेरने की कोशिश की जा रही है. हालांकि इसमें कामयाबी नहीं मिल पाई है. साल 2022 में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की कामयाबी का सबसे महत्वपूर्ण समय था. इसके बाद साल 2023 में अब तक माओवादियों के खिलाफ कोई बड़ी कामयाबी पुलिस को नहीं मिली है.

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