लोहरदगा: यह बहुत चौंकाने वाले आंकड़े हैं कि जिले में हर साल कई लोगों की जान एक विशेष वजह से चली जाती है. यह मौत का ऐसा फरमान है, जिसे रोका नहीं जा सकता. इससे बचने के लिए सावधानी जरूर बरती जा सकती है. हर साल सरकार इसे लेकर जागरुकता अभियान भी चलाती है. इसके बावजूद जाने-अनजाने में लोग इसकी चपेट में आ ही जाते हैं. सिर्फ इस वजह से लोहरदगा में कई लोगों की जान चली जाती है. हम बात कर रहे हैं वज्रपात (lightning in Lohardaga) की, यानी कि आसमानी बिजली का कहर. इससे होने वाली मौत के जो आंकड़े हैं, वह चौंकाने वाले हैं.
हर साल कई लोगों की जाती है जानःलोहरदगा जिला वज्रपात के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील जिला माना जाता है. यहां हर साल कई लोगों की जान वज्रपात की चपेट में आने की वजह से चली जाती है. यही नहीं कई लोग इससे बुरी तरह से प्रभावित भी होते हैं. इसके अलावे कई मवेशियों की मौत भी वज्रपात की चपेट में आने की वजह से होती है. सिर्फ साल 2022 की बात करें तो अब तक पांच लोगों की मौत वज्रपात (death due to lightning) की चपेट में आने की वजह से हो चुकी है. जबकि अब तक 32 मवेशियों की मौत भी वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हुई है.
लोहरदगा में आसमान से बरसती है 'मौत', हर साल चली जाती है कई लोगों की जान
लोहरदगा में हर साल आसमानी बिजली कहर बरसाती है. कई लोगों की जान इसकी चपेट में आने की वजह से चली जाती है. जिसमें बड़ी संख्या में किसान शामिल होते हैं. वज्रपात से होने वाली मौत (death due to lightning)के आंकड़े चौंकाने वाले हैं.
पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो लोहरदगा जिले में वर्ष 2017-18 में कुल 22 लोगों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हुई थी. वहीं वर्ष 2018-19 में कुल 18 लोगों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हो चुकी है. जबकि वर्ष दो 2019-20 में कुल 16 लोगों की मौत वज्रपात की चपेट (death due to lightning) में आने की वजह से हुई थी. वर्ष 2020-21 में 12 लोगों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हुई. जबकि वर्ष 2021-22 में 14 लोगों की मौत आसमानी बिजली के कहर की वजह से गई है.
काफी संख्या में मवेशी भी मारे जाते हैंःवज्रपात की चपेट में आने की वजह से काफी ज्यादा संख्या में मवेशियों की मौत भी होती है. लोहरदगा जिले में साल 2017-18 में 13 मवेशियों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हुई थी. जबकि वर्ष 2018-19 में 21 मवेशियों की मौत वज्रपात की चपेट ((death due to lightning)) में आने की वजह से हो चुकी है. यदि हम बात करें वर्ष 2019-20 की तो कुल 7 मवेशियों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हुई थी. जबकि साल 2020-21 में कुल 22 मवेशियों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हुई. साल 2021-22 में कुल 11 मवेशियों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हुई थी. इसके अलावा वर्ष 2022-23 में अब तक 32 मवेशियों की मौत वज्रपात की चपेट में आने की वजह से हो चुकी है.
वज्रपात से बचाव को लेकर क्या करें उपायःजिला आपदा प्रबंधन विभाग(disaster management department) लगातार लोगों को जागरूक करता है कि बारिश होने पर वज्रपात की स्थिति को देखते हुए लोगों को कुछ आवश्यक कदम उठाना चाहिए. जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी विभाग के अधिकारी कहते हैं कि वज्रपात की आशंका हो तो ऊंचे स्थान या फिर पेड़ के नीचे खड़े नहीं रहें. लोहे के सामान और गीले स्थान से दूर रहें. किसी सुरक्षित स्थान पर चले जाएं. किसी की मौत होने पर तत्काल आपदा प्रबंधन विभाग को सूचित करें. फोन पर बात नहीं करें. खिड़की से दूर रहें. विद्युत उपकरणों से दूर रहें. बेसिन में हाथ नहीं धोएं. इलेक्ट्रिक प्लग को नहीं छुएं और सावर ना लें.