लोहरदगा: जिले में माओवादियों का लगभग सफाया हो चुका है. लोहरदगा में नक्सली कमांडर रविंद्र गंझू (Naxalite Commander Ravindra Ganjhu in Lohardaga) का दस्ता अब भी सक्रिय है. इस नक्सली की वजह से जिले से पूरी तरह नक्सलियों का खात्मा नहीं हुआ है. लोहरदगा पुलिस की ओर से सर्च ऑपरेशान के साथ साथ छापेमारी अभियान चलाया गया. लेकिन हार्डकोर नक्सली पुलिस की पहुंच से बाहर है. ऑपरेशन डबल बुल (Operation Double Bull) के दौरान भी यह नक्सली पुलिस की पकड़ से बच निकला था. यह नक्सली पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है.
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भाकपा माओवादी का रीजनल कमांडर रविंद्र गंझू कुख्यात नक्सली है. इस नक्सली पर सरकार ने 15 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. इसके बावजूद पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. बताया जाता है कि इस माओवादी कमांडर के दस्ते में एक दर्जन से अधिक हथियारबंद नक्सली शामिल हैं. लोहरदगा के सुदूरवर्ती बुलबुल के जंगल में सक्रिय है और यदाकदा घटना को अंजाम भी दे रहा है.
सुरक्षा बलों ने 8 फरवरी से लगातार 10 दिनों तक बुलबुल के जंगल में ऑपरेशन डबल बुल चलाया था. इस ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को घेरा था और 11 नक्सली गिफ्तार किए गए थे. इसके साथ ही दो नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था. इस ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार और अन्य सामान बरामद किए थे. इसके साथ ही नक्सलियों के कई बंकर भी ध्वस्त किए गए थे. लेकिन रविंद्र गंझू गिरफ्तार नहीं किया जा सका था. पुलिस इस नक्सली की घेराबंदी में अब तक नाकाम है.
पुलिस ने रविंद्र गंझू की पत्नी को भी हिरासत में लिया था, ताकि रविंद्र का कुछ सुराग मिल सके. लेकिन रविंद्र की पत्नी ने पुलिस को कुछ नहीं बताया. हालांकि, उसकी पत्नी एक बार जेल भी जा चुकी है. यही वजह है कि लोहरदगा नक्सलवाद से मुक्त नहीं हो पा रहा है. एसपी आर रामकुमार ने बताया कि भाकपा माओवादी के रीजनल कमांडर रविंद्र गंझू की गिरफ्तारी और घेराबंदी को लेकर सतर्कता के साथ काम कर रही है. पुलिस की ओर से साफ तौर पर चेतावनी दी गई है कि या तो नक्सली आत्मसमर्पण नीति के तहत सरेंडर करें या फिर पुलिस की कार्रवाई के लिए तैयार रहें.