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लोहरदगा: फूल विक्रेताओं पर छाया लॉकडाउन का ग्रहण, दाने-दाने को हैं मोहताज - lohardaga news in hindi

इंसान की जिंदगी में फूलों का बहुत महत्व है. जब हम इसे देखते हैं तो हमारा मन मचल उठता है. जब लोग फूलों के बगीचे में जाते हैं तो उस वक्त को अपनी यादों में कैद करना चाहते हैं और वहां तस्वीरें लेना नहीं भूलते. कारण है फूल हमेशा लोगों को मुस्कुराना सिखाता है, लेकिन कोरोना की वजह से लोहरदगा में फूल का व्यापार करने वाले लोगों के चेहरे की मुस्कुराहट ही चली गई है.

फूल विक्रेताओं पर छाया लॉकडाउन का ग्रहण
Lockdown eclipse on flower vendors in Lohardaga

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Published : Apr 27, 2020, 4:37 PM IST

Updated : Apr 27, 2020, 5:16 PM IST

लोहरदगा: जिले में इंसान की जिंदगी के साथ-साथ फूलों पर भी लॉकडाउन का असर हो चुका है. फूलों को अब खरीदार ही नहीं मिल रहे हैं. लोहरदगा में फूल की बिक्री करने वाले फूल विक्रेताओं के चेहरे मुरझा रहे हैं. अब वो करे तो क्या करें.

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फूलों की बिक्री पर लॉकडाउन का ग्रहण

हर आदमी के लिए फूलों का अलग-अलग महत्व है. कोई अपने बगीचे को फूल से सजाता है, कोई भगवान पर चढ़ा कर अपनी मुरादें मांगता है तो कोई अपने घर के कमरे को फूलों से सजा कर अपनी जिंदगी में महक बिखेरना चाहता है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से फूलों का कारोबार नहीं हो पा रहा है. फूल के पौधे बेचने वाले व्यापारी दाने-दाने को मोहताज नजर आ रहे हैं. ये व्यापारी पहले इसी फूलों के व्यापार से लाखों का कारोबार करते थे, लेकिन अब आज चंद रुपये के लिए तरस रहे है. कारण है इनके फूलों की बिक्री पर लॉकडाउन का ग्रहण लग गया है.

बर्बाद होते फूल को दिखाते फूल विक्रेता

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फूल विक्रेता मानसिक रूप से परेशान

फूलों की बिक्री नहीं होने की वजह से फूल के पौधे खराब हो रहे हैं. कोई खरीदार नहीं मिल पा रहा है. समझ में नहीं आ रहा कि आखिर कब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी. क्या रोजगार छिन जाएगा. तमाम सवालों ने फूल विक्रेताओं को मानसिक रूप से परेशान करके रख दिया है. लोहरदगा में बिहार के अलग-अलग जिलों से आकर व्यापारी यहां फूल का कारोबार करते हैं. इसी में से बिहार के रहने वाले संजू यादव और लालटू सिंह डीसी कार्यालय के ठीक सामने कई सालों से फूल के पौधे बेचने का काम करते हैं.

मुरझा रहे गुलाब के फूल

दो वक्त की रोटी का नहीं हो पा रहा है जुगाड़

इन दुकानदारों ने एक प्रकार से यहां पर अपनी बगीया ही सजा रखी है, जिसमें हर दिन फूल के पौधे खरीदने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी, लेकिन आज यहां पर वीरानी छाई हुई है. ना तो कोई खरीदार आता है और ना ही कोई उनका हाल पूछने वाला है. अब उनकी जिंदगी मुरझाती जा रही है. दोनों कहते हैं कि लॉकडाउन से ठीक पहले लाखों रुपए का पौधा मंगा कर रखा था और उम्मीद थी कि इनकी बिक्री होने से काफी फायदा होगा. आज ये पौधे मुरझा रहे हैं. कोई खरीदार नहीं मिल पा रहा है. यही हाल रहा तो उनके लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ कर पाना भी मुश्किल हो जाएगा. इनके सवालों ने हालात को बयां कर दिया है.

बर्बाद हो रहे हैं रंग-बिरंगे फूल
Last Updated : Apr 27, 2020, 5:16 PM IST

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