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सूखा है जिला, फिर भी सरकार ने धान खरीद के लिए दे दिया है दोगुना टारगेट - Jharkhand News

झारखंड सरकार ने राज्य के 22 जिलों (226 प्रखंड) को सूखा ग्रसित घोषित किया है. यानी इस साल झारखंड में खेती अच्छी नहीं हुई है. लेकिन फिर भी राज्य सरकार ने धान खरीद के लक्ष्य को दोगुना कर दिया (Government Doubles Paddy Procurement Target) है.

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Published : Dec 21, 2022, 2:07 PM IST

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लोहरदगा :झारखंड राज्य के कुल 263 प्रखंड में से 226 प्रखंड सूखाग्रस्त हैं. इस बार धान का उत्पादन भी काफी कम हुआ है. इसके बावजूद राज्य सरकार ने धान खरीद को लेकर लक्ष्य को दोगुना कर दिया (Government Doubles Paddy Procurement Target) है. लोहरदगा जिले में भी कुछ ऐसा ही हाल है. अब विभाग सोच में पड़ गया है कि जब सुखाड़ है तो, धान कहां से खरीदें. सरकार से फरियाद लगाई गई है.


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लोहरदगा में लक्ष्य को दोगुना किया गया:राज्य सरकार की भी अजीब नीति है. सरकार ने खुद ही कहा है कि पूरे राज्य के 263 प्रखंड में से 226 प्रखंड सूखाग्रस्त हैं. इसके बावजूद झारखंड सरकार 'सार्वजनिक खाद्य वितरण एवं उपभोक्ता मामलों' के विभाग में विभिन्न जिलों में धान खरीद का लक्ष्य काफी ज्यादा बढ़ा दिया है. लोहरदगा जिले में तो इसे दोगुना कर दिया गया है. जबकि लोहरदगा जिले के सभी सात प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित हो चुके हैं. ऐसे में धान की खरीद करने वाले क्रय केंद्रों के समक्ष परेशानी यह है कि वह धान की खरीद करें तो कहां से करें.

धान खरीद का लक्ष्य दोगुना: खरीफ विपणन मौसम 2021-22 के मुकाबले खरीफ विपणन मौसम 2022-23 में धान कि खरीद का लक्ष्य काफी ज्यादा हो चुका है. हालांकि लोहरदगा जिला प्रशासन ने सुखाड़ की स्थिति को देखते हुए सरकार को पत्राचार करते हुए धान की खरीद के लक्ष्य को कम करने का अनुरोध किया है. जब तक सरकार की ओर से लक्ष्य को कम नहीं किया जाता है, तब तक विभाग के समक्ष लक्ष्य को पूरा करने की एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी.

दोगुना लक्ष्य से सरकारी विभाग परेशान : जब सरकार को भी यह अच्छी तरह से पता है कि इस बार बारिश की खराब स्थिति और दूसरे कारणों की वजह से धान की पैदावार काफी कम हुई है. कई क्षेत्र तो ऐसे हैं, जहां पर धान की पैदावार हुई ही नहीं. फिर सरकार ने लक्ष्य को कैसे बढ़ा दिया. या तो क्रय केंद्रों को बिचौलियों से धान खरीदना पड़ेगा, या फिर धान खरीद का लक्ष्य पूरा ही नहीं होगा. धान खरीद को लेकर सरकार की अटपटी नीति के कारण सरकारी विभाग ही परेशान है.

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