रांची, लोहरदगा:सीएम हेमंत सोरेन आज जमकर बरसे, उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर एक के बाद एक कई हमले किए. लोहरदगा में आयोजित सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि ये अपने आप को विश्व गुरु कहते हैं. दुनिया की सबसे ताकतवर नेता और पार्टी बोलते हैं. धिक्कार है ऐसे लोगों पर. पूरे देश को इन लोगों ने बदहाल कर दिया है. आज महंगाई आसमान छू रही है. तरीके से ये लोगों को बेवकूफ बनाते हैं. कलयुग चल रहा है. जितना बड़ा आदमी उतना बड़ा झूठ. आज बिचौलिया और झूठ का बोलबाला है. सच को परेशान किया जा रहा है. आज इनका देश पर कब्जा है. सीएम का इशारा किस ओर था, इसको समझा जा सकता है.
सीएम हेमंत ने कहा कि सभी बुजुर्गों को पेंशन दिया जा रहा है. सभी महिलाओं को पेंशन मिलता है लेकिन हमारे विपक्ष को क्या हो गया. कहते हैं कि हम ढोंग रच रहे हैं. ये बेइमान सब शीशा का नहीं टीना का चश्मा पहनते हैं. जब मौका मिला तो कुछ किया नहीं. लोगों को भूखा मरने छोड़ दिया. जब काम कर रहे हैं तो काम पर धूल डाल रहे हैं. जिनको राज्य से कोई लेना देना नहीं वो क्या करेंगे. आज हमारे कुछ मूलवासी और आदिवासी उनके चंगुल में फंसकर उल्टा सीधा कर रहे हैं. वे लोग आपके दिमाग में जहर भर रहे हैं. जब नहीं सकता है तो धर्म का जहर डाल देता है. ये सब ऐसा विषय है जो किसी के भी दिमाग में हलचल पैदा कर दे. ये लोग आग से खेलते हैं. यही वजह है कि देश में सांप्रदायिक दंगे होते हैं.
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि ये लोग हर हाल में सांप्रदायिक दंगे फैलाने में लगे रहते हैं. अरे निकम्मों 20 साल में तुम लोगों ने जो गंदगी फैलाई है उसको निकालने में वर्षों लग जाएंगे. सीएम ने कहा कि जब गांव, किसान, मजदूर मजबूत हो जाएगा तो यह राज्य खुद मजबूत हो जाएगा. कोई हरा पेड़ गाड़ देने से नहीं बचता. वह मर जाएगा. इसलिए जड़ को मजबूत करना होगा. इसी वजह से सामाजिक सुरक्षा को ध्यान में रखकर योजनाएं चलाई जा रही हैं.
अबुआ वीर, अबुआ दिशोम योजना के तहत जंगल के आसपाल रहने वालों को वन पट्टा देने का काम शुरू किया गया है. 12वीं पास के बाद कोई भी बच्चा आगे की पढ़ाई कर सफल बनना चाहता है तो उसको क्रेडिट कार्ड दे रहे हैं. उसकी पढ़ाई के चार साल का खर्च राज्य सरकार उठाएगी. इसमें गारंटर की जरूरत नहीं होगी. सरकार गारंटर बनेगी. डिग्री के बाद नौकरी मिलने पर सरकार को थोड़ा थोड़ा करके पैसा वापस करना होगा. अब पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं आएगी. यही नहीं प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के लिए सरकार कोचिंग की सुविधा दे रही है. अभी 400 बच्चे जिनमें 250 आदिम जनजाति के बच्चे हैं, उनको कोचिंग दी जा रही है. इतना कुछ होने के बावजूद विपक्ष के लोग छाती पीट रहे हैं. तरह तरह के लांक्षण लगा रहे हैं. सहयोग के नाम पर जीरो बट्टा जीरो. लंबा वक्त कोरोना महामारी ने खा लिया.
सीएम ने कहा कि पहली बार 35 लाख आवेदन मिला. दूसरे चरण में 50-55 लाख आवेदन मिला. करीब 1 करोड़ लोगों की समस्या सरकार तक पहुंची. राज्य अलग हुए 23 साल हो गये. क्या वजह है कि इतनी समस्याएं सरकार तक पहुंचीं. इसका मतलब पहले ब्लॉक स्तर पर काम नहीं हो रहा था. कोई कलेक्टेरिएट काम नहीं करता था. कोई मजदूर-किसान की बात नहीं सुनता था. अब वही पदाधिकारी काम कर रहे हैं. पहले की सरकारों ने अधिकारियों को सिर्फ अपने सेवा में लगाया. सबसे अधिक आवेदन पेंशन को लेकर आया. पहले तो डबल इंजन की सरकार थी. फिर भी आंसू नहीं पोछा.
अब 60 साल के वृद्ध को पेंशन नहीं मिलेगा तो पदाधिकारी वहीं सस्पेंड हो जाएगा. 40 साल की विधवा होने पर ही पेंशन मिलता था. यह क्या मजाक है. हमने कानून बनाया कि 18 साल के बाद जो भी विधवा होगी, उनको पेंशन मिलेगा. विकलांग पेंशन के लिए भी कैपिंग थी. पहले सरकारों ने कभी सामाजिक सुरक्षा की चिंता नहीं की. अब राज्य में किसी भी घर में कोई भी बच्चा विकलांग पैदा होगा तो पांच साल के बाद पेंशन मिलने लगेगा. हर इंसान की एक न्यूनतम जरूरत है रोटी, कपड़ा और मकान. पहले की सरकारों ने गरीबों के 11 लाख राशनकार्ड रद्द कर दिया था. नतीजा यह हुआ कि 2019 के पहले इस राज्य में लोग राशन कार्ड हाथ में लिए घूमते थे.
हेमंत सोरेन ने कहा कि इसी इलाके में कई लोग भूख से मर गये. लेकिन हमने कोरोना काल में भी किसी को मरने नहीं दिया. अब सरकार ने 11 लाख लोगों के अलावा 20 लाख अलग से हरा राशन कार्ड बनाकर बांटा. हम और मंत्री दिल्ली का चक्कर लगाते रहे. केंद्र ने कहा कि 2022 तक सभी को आवास दे देंगे. आज भी 8 लाख से अधिक लोगों को आवास की जरूरत है. उन्हीं लोगों के बीच कालाजार जैसी बीमारी फैलती है. यह बीमारी गरीबों को होती है. उन 8 लाख आवासों के लिए भारत सरकार के पास हाथ जोड़ते रहे लेकिन आवास नहीं दिया. अब हमलोगों ने हाल में ही अबुआ आवास योजना शुरु किया है. आपके यहां शिविर कैंप में अबुआ आवास के स्टॉल पर सबसे ज्यादा भीड़ लग रही है. कई जगहों से जानकारी मिली है. जरुरत पड़े तो एक शिविर में दो-दो अबुआ आवास का स्टॉल लगाए. हमलोग तीन कमरे का आवास बनाएंगे. हम साल में दो बार धोती-साड़ी देते हैं.