लोहरदगा: जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था की सबसे बड़ी इकाई सदर अस्पताल को कहा जाता है. सदर अस्पताल में हर दिन सिर्फ आउटडोर में 400 से 500 मरीजों का इलाज किया जाता है. सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी है. सदर अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था के बेहतर होने के अरमान पूरे होने में लगभग 37 साल का समय लग गया.
बता दें कि 17 मई 1983 को लोहरदगा जिला का गठन हुआ था. इन 37 सालों में यहां पर स्वास्थ्य सुविधा ने काफी बुरे दिन देखे हैं. एक अत्याधुनिक अस्पताल में जो सुविधाएं होनी चाहिए वह सुविधाएं अब सदर अस्पताल में उपलब्ध हो पा रही है. सदर अस्पताल में आईसीयू और वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी है. मशीनरी को इंस्टॉल करने का काम अंतिम दौर में चल रहा है. लोहरदगा सदर अस्पताल में अब मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल पाएंगी. वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं अत्याधुनिक और बड़े अस्पतालों में ही होती है. फिलहाल लोहरदगा सदर अस्पताल के पास दो वेंटिलेटर, ईसीजी, अल्ट्रासाउंड सहित कई अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी है. ऐसे में अब मरीजों को बेहतर इलाज के लिए जिले से बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लोहरदगा में कई वरिष्ठ चिकित्सकों की निगरानी में सदर अस्पताल में यहां पर बेहतर इलाज मिल पाएगा. वहीं, राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के प्रयास से वेंटिलेटर उपलब्ध हुआ है. इसके अलावा सरकार के स्तर से भी आवंटन मिलने पर स्वास्थ्य विभाग ने वेंटिलेटर की खरीद की है. कुल मिलाकर सदर अस्पताल में अब सुविधाएं बेहतर हो चुकी है.